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भूमाफिया ने हड़पी सेवानिवृत्त अधिकारी की जमीन

By Edited By: Published: Sun, 30 Jun 2013 11:48 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2013 11:49 PM (IST)
भूमाफिया ने हड़पी सेवानिवृत्त अधिकारी की जमीन

बाराबंकी : जिले में सक्रिय भू माफिया ने संयुक्त निदेशक चिकित्सक एवं स्वास्थ्य के पद से सेवानिवृत्त हुए अधिकारी की बेशकीमती जमीन का फर्जीवाड़ा कर बैनामा करा लिया। देवा-चिनहट मार्ग पर स्थित 48 बीघा इस जमीन की कीमत करीब 25 करोड़ बताई जाती है। एसपी के आदेश पर कोतवाली नगर में 13 लोगों के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

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देवा कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तिंदोला माती के मूल निवासी धर्मवीर सिंह वर्मा संयुक्त निदेशक चिकित्सक एवं स्वास्थ्य के पद पर तैनात थे। वर्तमान समय में लखनऊ के इंदिरानगर में रह रहे धर्मवीर सिंह की देवा-चिनहट मार्ग पर करीब 48 बीघा जमीन स्थित है। धर्मवीर की मां रामलली की 14 फरवरी 1984 को मौत हो गई थी। जिस पर इसी वर्ष जनवरी माह में धर्मवीर ने भूमि का वरासत कराने का आवेदन किया था। तहसीलदार ने इस प्रक्रिया में रोक लगा दी। इसी दौरान भू माफिया ने धर्मवीर की 17 गाटा में बंटी 48 बीघा जमीन के छह बैनामा करा लिए। मामले की जानकारी होने पर धर्मवीर ने पुलिस अधीक्षक वसीम अहमद से मामले की शिकायत की। एसपी ने आदेश देकर 13 लोगों के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने बताया कि इस जालसाजी में जिला प्रशासन की भू माफिया की सूची में शामिल रमेश चंद्र वर्मा निवासी मुंशीगंज का रिश्तेदार सुरेंद्र कुंवर सिंह निवासी मुहल्ला आजाद नगर ने मुख्य भूमिका निभाई है। सुरेंद्र ने 29 वर्ष पूर्व मृत हो चुकी धर्मवीर की मां रामलली को जीवित दिखाकर रामलली पत्‍‌नी मंगरे को खड़ा कर 15 जून 2013 को बैनामा करा लिया। जिसमें फतेहपुर के इसेपुर निवासी देशराज, कल्लू, धैसारपुर निवासी रामदास, रामनगर तहसील के त्रिलोकपुर गांव निवासी उपेंद्र, शिव कुमार, गोरखपुर के तिवारीपुर निवासी अनुज कुमार द्विवेदी, गोंडा करनैलगंज के परसपुर निवासी राजेश कुमार, कोतवाली नगर के मुहल्ला बेगमगंज निवासी विशाल, सत्यप्रेमी नगर निवासी सौरभ निगम, देवा रोड निवासी निशांत प्रकाश शामिल हैं। धर्मवीर के प्रार्थना पत्र पर एसपी ने आदेश कर कोतवाली नगर में जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। जिसकी जांच एसआइ केएम शर्मा को सौंपी गई है।

कीमत मात्र 48 लाख : मजेदार बात है कि जिस जमीन का फर्जी बैनामा कराया गया है उसकी कीमत करीब 25 करोड़ आकी जा रही है। लेकिन इसका बैनामा मात्र 48 लाख में कराया गया है।

संदेह का घेरे में कार्रवाई : वरासत का यह नियम है कि भू स्वामी की मौत के बाद नियम प क 11 के तहत स्वत : उत्तराधिकारी के नाम जमीन वरासत हो जानी चाहिए। लेकिन धर्मवीर के साथ ऐसा नहीं हुआ। यही नहीं धर्मवीर ने जब आवेदन किया और 18 जनवरी को उनके नाम जमीन चढ़ाए जाने का आदेश भी हो गया, लेकिन 25 मार्च को तहसीलदार ने इस आदेश पर रोक लगा दी। और इसी दौरान उसकी जमीन के साथ जालसाजी हो गई।

राहत की बात : पीड़ित धर्मवीर के लिए राहत की बात यह है कि जालसाज अभी दाखिल खारिज नहीं करा सके हैं। पीड़ित ने दाखिल खारिज पर रोक का प्रार्थना पत्र दे दिया है।

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