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प्रतिभा साधनों की मोहताज नहीं

By Edited By: Published: Wed, 26 Jun 2013 01:12 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2013 01:14 AM (IST)
प्रतिभा साधनों की मोहताज नहीं

विनोद सुमन, पीरो (भोजपुर) : सफलता साधनों की नहीं प्रतिभा एवं मेहनत की मुहताज होती है, इसे सच कर दिखाया है आइआइटी प्रवेश परीक्षा में 767वीं (ओबीसी) रैंक हासिल करने वाले पीरो कस्बे के एक साधारण परिवार में जन्मे स्वदेश ने। पीरो कस्बे के बिहिया रोड में प्रिटिंग प्रेस चलाने वाले मंगलेश सिंह अपने बेटे की इस सफलता से खासे उत्साहित हैं। वे बताते हैं कि आय के सीमित साधनों के बावजूद बेटे की पढ़ाई में कभी आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने दिया। स्वदेश वर्ष 2010 की मैट्रिक परीक्षा ज्ञान निकेतन पटना से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चला गया जहां उसने एसआरएम पब्लिक स्कूल से आइएससी की परीक्षा पास की। आइआइटी की तैयारी के लिए वर्ष 2012 में वह कोटा गया। वहां उसने काफी मेहनत एवं लगन के साथ तैयारी की जिसका फल उसे प्राप्त हुआ। अपनी सफलता का मूल मंत्र कड़ी मेहनत को बताते हुए स्वदेश का कहना है कि लगातार ज्यादा देर तक पढ़ाई करने के बजाय थोड़ा गैप लेना एवं विषय पर पकड़ बनाना ही उसकी सफलता का राज है। स्वदेश बताता है कि दसवीं के बाद से ही उसने आइआइटीयन बनने का लक्ष्य तय कर लिया था। कोटा में कोचिंग ज्वाइन करने के बाद उसका लक्ष्य आसान हो गया। स्वदेश के अनुसार वह आठ से दस घंटे स्वाध्याय करता था। उसका मानना है कि यदि छात्र लक्ष्य के प्रति सतर्क हो और कड़ी मेहनत करे तो सफलता निश्चित है। वह इंजीनियर बनकर राष्ट्र एवं समाज की सेवा करना चाहता है।

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