'जंग-ए-आजादी का शंखनाद थी वो क्रांति'
बड़ौत : वीरता की मिसाल थी वो क्रांति, खून से भी ज्यादा लाल थी वो क्रांति। जाने कितने सिर हो गए फरोश, जंग-ए-आजादी का शंखनाद थी वो क्रांति। कुछ इस अंदाज में प्रथम जंग-ए-आजादी के 156वें क्रांति दिवस पर जगह-जगह आयोजित कार्यक्रमों में शहीदों को नमन किया गया।
शहीद राजेंद्र सिंह सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित काव्य गोष्ठी में देशभक्तिपूर्ण रचनाओं के माध्यम से क्रांतिकारियों की शौर्य गाथाओं का वर्णन किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ पर शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। प्रधानाचार्य जगवीर शर्मा ने काव्य गोष्ठी का आगाज कुछ इस अंदाज में किया ..चारों ओर बम आज फूट रहे देश में तो कैसे गीत खुशी के मैं गाऊं ये बताइये, कितने ही बेगुनाह मारे जा रहे हैं यहां, तान कैसे सुरीली लगाऊं ये बताइये।
कविवर इकबाल नादान ने फरमाया ..मैं खुदगर्द हूं ये बात इत्मीनान से कह गया, ताज्जुब है वो कैसे ये बात जुबान से कह गया। भूपेंद्र अनंत ने अपनी रचना ..संविधान की तहरीरों को बदलना चाहिए, ये मैला ग्लेशियर अब पिघलना चाहिए। दर्द इतना बढ़ गया है आज मेरे देश में, अब समाधान इसका कोई निकलना चाहिए से कार्यक्रम का रंग और तीखा कर दिया।
डा. नारायण स्वरूप शर्मा 'सुमित' ने आह्वान किया ..रश्मियों का देश, काले बादलों से घिर गया है, अब दहकते सूर्य का आह्वान करना ही पड़ेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अरुण सोलंकी व संचालन प्रधानाचार्य जगवीर शर्मा ने किया। उधर, बड़का गांव में प्रथम जंग-ए-आजादी में क्षेत्र का नेतृत्व करने वाले शहीद बाबा शाहमल सिंह मावी के शहादत स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
इस मौके पर इतिहासविद अमित राय जैन, राकेश कुमार, अमरचंद सहित काफी संख्या में ग्रामीण शामिल थे। कैम्ब्रिज पब्लिक स्कूल में छोटे बच्चों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए। बच्चों नें लघु नाटिकाओं का भी मंचन किया। प्रबंधक राजीव कुमार ने बच्चों को प्रथम जंग-ए-आजादी के बारे में बताया।
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