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आरटीपीएस के कार्यान्वयन में बाबूओं का सहयोग नहीं

By Edited By: Published: Thu, 31 Jan 2013 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2013 08:57 AM (IST)
आरटीपीएस के कार्यान्वयन में बाबूओं का सहयोग नहीं

जागरण ब्यूरो, पटना

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लोक सेवाओं के अधिकार (आरटीपीएस) के तहत जनता की समस्याओं को दूर करने के सरकार के अभियान में बाबूओं का सहयोग नहीं मिल रहा है। कहीं पर काउंटर नहीं खुलता, कहीं बाबू गायब रहते हैं, तो अनेक मामलों में किसी न किसी प्रकार जनता को टरका दिया जाता है। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारियों को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। नागरिकों को साफ-सुथरा प्रशासन प्रदान करने के मकसद से 2011 में लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम लागू किया गया। इसके तहत विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र, लाइसेंस आदि मुहैया कराने के लिए समय सीमा की मियाद तय की गई है। इसके क्रियान्वयन में मिल रही शिकायतों को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डा. धर्मेन्द्र सिंह गंगवार ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि सुशासन के कार्यक्रमों की सफलता के लिए जरूरी है कि नागरिकों को सेवाओं के अधिकार कानून के तहत निर्धारित सेवाएं समय पर, पारदर्शी तरीके से और बिना परेशानी के उपलब्ध हों। कहा गया है कि काउंटरों पर मिल रही शिकायतों को सरकार ने काफी गंभीरता से लिया है। जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे लोक सेवाओं के अधिकार के तहत दी जाने वाली सेवाएं नियमानुसार सहज तरीके से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। हर प्रखंड में इसके काम की मासिक जांच कराएं और जिला स्तर पर होने वाली बैठकों में भी एजेंडा के रूप में इसे शामिल कर प्रखंडवार इस तरह के काम की समीक्षा की जाए और दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

ये हैं शिकायतें

* समय से नहीं खुलता काउंटर

* काउंटर से गायब रहते हैं कर्मी

* नहीं मिलता आवेदन फार्म

* आवेदन लेने से करते हैं इन्कार

* अनावश्यक कागजात की की जाती है मांग

* आवेदकों को तत्काल नहीं दिया जाता पावती

* आवेदकों को बार-बार काउंटर से वापस किया जाना

* शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जाना।

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