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दिल के करीब होती हैं बेटियां

By Edited By: Published: Fri, 25 Jan 2013 06:42 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2013 06:44 PM (IST)
दिल के करीब होती हैं बेटियां

निज प्रतिनिधि, अकोढ़ीगोला (रोहतास) : बेरकप मध्य विद्यालय के प्रांगण में गुरूवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर 'किशोरियों की शिक्षा बाल-विवाह, भ्रूण-हत्या' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष आभा सिंह ने कहा कि ईश्वर की सुंदर और अमूल्य कृति होती हैं बेटियां, सुबह की सुनहरी धूप होती हैं बेटियां, हंसता हुआ सूरजमुखी फूल हैं बेटियां, दिल के सबसे करीब होती हैं बेटियां। उन्होंने कहा कि हर साल देश में लगभग 75 लाख बेटियों को जन्म लेने का अवसर नहीं मिलता है। जिन्हें अवसर मिलता है, उनपर अपने समाज के चंद लोग कहर ढाते हैं। लोग बेटियों के प्रति अपना नजरिया नहीं बदलेंगे तो वर्ष 2050 तक घरों में भाइयों की कलाई पर राखी बांधने वाली बहन नहीं मिलेगी। मीना गुप्ता ने भी बेटा-बेटी के बीच फर्क मिटाने की आवश्यकता जताई। माहीं कुमारी ने 'बोए हैं बेटे और उग जाती हैं बेटियां' शीर्षक कविता सुनाई। इस अवसर पर डेहरी से आयी नेत्री शकुंतला सिंह, किरण कुशवाहा, लालसा देवी आदि ने भी अपने विचार रखे।

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