फतेहपुर सीकरी से निर्दलीय लड़ेंगे चाहर
फतेहपुर सीकरी सीट पर राजकुमार चाहर ने अंतत: कांग्रेस-रालोद गठबंधन के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक ही दिया। किरावली में रविवार को हुई सर्वसमाज की सभा में समर्थकों ने चाहर को निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला सुनाया। राजकुमार के इनकार करने पर समर्थक जोश में आ गए, इसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी।
आगरा [जागरण संवाददाता]। फतेहपुर सीकरी सीट पर राजकुमार चाहर ने अंतत: कांग्रेस-रालोद गठबंधन के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक ही दिया। किरावली में रविवार को हुई सर्वसमाज की सभा में समर्थकों ने चाहर को निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला सुनाया। राजकुमार के इनकार करने पर समर्थक जोश में आ गए, इसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी।
लंबे समय तक कांग्रेस-रालोद गठबंधन के लिए गले की हड्डी बनी रही फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट पर बगावत का अंदेशा शुरू से ही जताया जा रहा था। गठबंधन की घोषणा से पहले कांग्रेस ने इस सीट पर राजकुमार चाहर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था, परंतु गठबंधन के बाद यह सीट रालोद के खाते में चली गई और पूर्व मंत्री चौ. बाबूलाल को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। इसके बाद से क्षेत्र में पंचायतों का सिलसिला चल रहा था। फैसले के लिए रविवार को किरावली स्थित रामवीर क्रीड़ा स्थल पर जनसभा बुलाई गई। इसमें सर्वसमाज के लोगों को बुलाया गया था। करीब 10 हजार समर्थकों की भीड़ के समक्ष राजकुमार चाहर ने खुद की टिकट कटने के घटनाक्रम की जानकारी दी। मंच पर मौजूद रालोद के जिला पंचायत सदस्य बनैसिंह पहलवान ने चाहर को लड़ाने की बात कही। इसके बाद राजकुमार चाहर ने कहा कि जो भी जनता आदेश देगी वही करूंगा, मैं चुनाव लड़ना नहीं चाहता। यह कहकर वे जैसे की मंच से नीचे उतरे, समर्थक उत्तेजित हो गए और चुनाव लड़ने का आह्वान करते हुए उन्हें कंधों पर उठाकर वापस मंच पर बैठा दिया। इसके बाद समर्थकों ने चुनाव लड़ने के लिए किसी दल से टिकट मिलने का इंतजार करने के बजाय निर्दलीय लड़ने के नारे लगाए। जिसके बाद राजकुमार चाहर ने निर्दलीय मैदान में उतरने की सहमति दे दी। राजकुमार चाहर ने बताया कि उन्होंने किसी से कोई बगावत नहीं की, जनता का आदेश माना है। चुनाव जनता ही लड़ेगी, मैं तो केवल जनता का प्रतीक हूं।
पिछली बार 1500 मतों से हारे थे : राजकुमार चाहर पिछले विधानसभा में रालोद से टिकट न मिलने के बाद भाजपा में चले गए थे। वहां उन्होंने दमदारी से चुनाव लड़ा, लेकिन लगभग 1500 मतों से सात भाजपाई दावेदारों की भितरघात के चलते हार गए।
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