संसद चलाने का तरीका बदले
लखनऊ [राजकिशोर]। राष्ट्रीय महत्व के सवालों पर विचार-विमर्श के मंच जागरण फोरम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के समग्र विकास का फार्मूला सुझाने के साथ संसद को चलाने के लिए कानून में संशोधन से रास्ता निकालने की भी पैरवी की। विकास में सबकी भागीदारी तय करने के लिए उन्होंने शिक्षा और सेहत पर सरकारी खजाने से खर्च बढ़ाने की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि सबका विकास सुनिश्चित करने की राह में जो भी मुश्किलें हैं उन्हें हर हाल में दूर करने की जरूरत है। संसदीय प्रणाली की सर्वोच्चता पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने विकास के लिए नीतियों का रास्ता निकालने की जिम्मेदारी राजनीतिक प्रतिष्ठान पर डाली और हर तरह के गतिरोध को सामूहिक राजनीतिक समझ से सुलझाने के सूत्र भी दिए।
लखनऊ [राजकिशोर]। राष्ट्रीय महत्व के सवालों पर विचार-विमर्श के मंच जागरण फोरम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के समग्र विकास का फार्मूला सुझाने के साथ संसद को चलाने के लिए कानून में संशोधन से रास्ता निकालने की भी पैरवी की। विकास में सबकी भागीदारी तय करने के लिए उन्होंने शिक्षा और सेहत पर सरकारी खजाने से खर्च बढ़ाने की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि सबका विकास सुनिश्चित करने की राह में जो भी मुश्किलें हैं उन्हें हर हाल में दूर करने की जरूरत है। संसदीय प्रणाली की सर्वोच्चता पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने विकास के लिए नीतियों का रास्ता निकालने की जिम्मेदारी राजनीतिक प्रतिष्ठान पर डाली और हर तरह के गतिरोध को सामूहिक राजनीतिक समझ से सुलझाने के सूत्र भी दिए।
देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने के बाद पहली ही तिमाही में उत्तार प्रदेश आए प्रणब मुखर्जी ने छठवें जागरण फोरम का उद्घाटन करते हुए कहा कि लोकतंत्र और विकास एक ही सिक्के के दो पहलू होने चाहिए। दैनिक जागरण के 'चलो आज कल बनाते हैं' अभियान में विकास को लेकर जनता के बीच से मुद्दों को उठाने की कोशिशों पर मुहर लगाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऊपर से नीचे विकास का सिद्धात अब अप्रासंगिक हो चुका है। बतौर वित्ता मंत्री सात बार देश का बजट पेश कर चुके प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक हजार करोड़ रुपये की पहली पंचवर्षीय योजना से लेकर अब हम पहले 64 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की योजना तक पहुंच चुके हैं। हमें समग्र विकास का रास्ता तलाशना ही होगा। शिक्षा और स्वास्थ्य की योजनाओं के विकास के लिए केवल धन का विस्तार ही नहीं करना होगा बल्कि उनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित करनी होगी। इसकी रफ्तार बनाए रखनी होगी।
जागरण फोरम में केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और राज्यसभा में विपक्ष के नेता यानी सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष की नुमाइंदिगी के बीच राष्ट्रपति ने दो टूक कहा कि राजनीतिक प्रतिष्ठान की सामूहिक सोच किसी भी तरह के गतिरोध को खत्म करने का रास्ता निकाल सकती है। संसद की कार्यवाही अवरुद्ध होने की तरफ इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि निर्वाचित सदनों का कामकाज निर्बाध चलते रहना चाहिए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम अपने बनाए हुए नियमों से ही बंधे हैं। संसद व विधानसभाओं में गतिरोध की बढ़ती आवृत्तिपर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यदि कामकाज चलते रहने के लिए जरूरत पड़े तो सभी राजनीतिक दलों को मिलजुलकर कानूनी संशोधन व सुधार करना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एक कथन का उल्लेख करते हुए उन्होंने संसद के प्रति सरकार की जवाबदेही पर काफी जोर दिया। सभी खचरें का हिसाब-किताब रखने के लिए कैग को अपर्याप्त बताते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि विभिन्न मंत्रालयों को होने वाले बजटीय आवंटन की पूर्व समीक्षा के साथ-साथ बजटीय आवंटन के बाद भी विभागीय संसदीय समितियों को कसौटी पर परखना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत में ही राष्ट्रपति ने जागरण फोरम के प्रयासों की दिल खोलकर तारीफ की। उन्होंने कहा, जागरण फोरम विकास और लोकतंत्र के सरोकारों को जिस तरह मंच देता है, मैं हमेशा उसकी सराहना करता रहा हूं। फोरम के उद्घाटन सत्र में मौजूद राज्यपाल बीएल जोशी ने कहा कि इस मंच पर होने वाली सार्थक चर्चा का लाभ पूरे प्रदेश को मिलेगा। उत्तार प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फोरम के मंच से प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों को सलाह दी कि वे इस विचार-मंथन से सूबे के विकास के सबक लें। इस दौरान दैनिक जागरण के सीएमडी महेंद्र मोहन गुप्त, संपादक व सीईओ संजय गुप्त और जागरण फोरम के निदेशक प्रशात मिश्र भी मौजूद रहे।
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