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हकीकत की जमीन, विकास की करवट

लखनऊ [प्रणय उपाध्याय]। देश का सबसे बड़ा सूबा बदलाव की करवट ले चुका है। बीते एक पखवाड़े में उत्तरप्रदेश ने दिखा दिया कि वो पिछड़ेपन के दाग धोने को किस हद तक बेताब है। सियासत को सत्ता के सिंहासन पर बैठाने के बदले जनता विकास के अपने अधिकार पर जवाबदेही माग रही है। एक पखवाड़े तक चले 'दैनिक जागरण' के चलो आज कल बनाते हैं अभि

By Edited By: Published: Sat, 13 Oct 2012 09:47 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2012 09:52 AM (IST)
हकीकत की जमीन, विकास की करवट

लखनऊ [प्रणय उपाध्याय]। देश का सबसे बड़ा सूबा बदलाव की करवट ले चुका है। बीते एक पखवाड़े में उत्तरप्रदेश ने दिखा दिया कि वो पिछड़ेपन के दाग धोने को किस हद तक बेताब है। सियासत को सत्ता के सिंहासन पर बैठाने के बदले जनता विकास के अपने अधिकार पर जवाबदेही माग रही है। एक पखवाड़े तक चले 'दैनिक जागरण' के चलो आज कल बनाते हैं अभियान के कैनवास पर जनता ने जिन उमंगों व उम्मीदों के साथ तस्वीर खींची है, नीति निर्धारकों ने जो उत्साह दिखाया है उससे लगता है कि सुनहरे कल की पौ फटने को है।

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सूबे के विकास की जमीन तलाशने की जद्दोजहद में दैनिक जागरण ने चलो आज, कल बनाते हैं के विनम्र प्रयास में उम्मीद से कहीं अधिक समर्थन और उत्साहवर्धन पाया। हमने भी नहीं सोचा था कि देश के सबसे बड़े सूबे को जगाने की पहल वास्तव में प्रदेश में विकास की आवाज बन जाएगी। बीते एक पखवाड़े में हर खास-ओ-आम के स्वर एक हुंकार के रूप में उभरे हैं। ऐसी हुंकार जो निराशा और नकारात्मक वातावरण के आवरण को तोड़कर एक नया कल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो।

पूरे प्रदेश में चला महाअभियान जब शनिवार को लखनऊ में जागरण फोरम के जरिये मुकाम तक पहुंचा तो यह कारवा मंजिल की राह में एक सशक्त पड़ाव के रूप में उभरा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फोरम का उद्घाटन कर समग्र विकास का मूल मंत्र दिया तो उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफगोई से माना कि जागरण के अभियान से उपजी जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने का भार उनके कंधों पर ही आने वाला है। फोरम के मंच से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने विकास के लिए राजनीतिक नकारात्मकता को दूर करने पर जोर दिया। वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने यूपी की राजनीतिक संस्कृति बदलने का आह्वान करते हुए अपनी ओऱ से इसके विकास में योगदान का वादा भी किया।

इससे पहले प्रदेश के सात प्रमुख शहरों में हुए मिनी जागरण फोरम के मंथनों से गुजरकर सूबे की राजधानी में हुए महामंथन से जो सार है निकला, वह भी किसी अमृत से कम नहीं है। कानपुर, मेरठ, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, बरेली और फैजाबाद में हुए मिनी फोरम से विकास की अदम्य लालसा की जो बानगी दिखाई वो अचंभित करने वाली थी। साथ ही उदासीन और ऊंघते उत्तरप्रदेश की आम धारणा को भी बदलने के लिए मजबूर करती है। मुल्क के सबसे बड़े सूबे की जनता चाहती है तो बस केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की मदद। नोएडा की तर्ज पर रुहेलखंड का इलाका जहा विकास का नया इंजन बनने को बेताब है वहीं मेरठ जेवरात, हैंडलूम, पॉटरी, कृषियंत्र व प्रकाशन उदद्योग के साथ विकास की कहानी लिखने के लिए तैयार है।

विकास के लिए उत्तर प्रदेश मंथन के इस प्रयास की पूर्णाहुति को अब हम प्रदेश की जनता के हाथ में सौंप रहे हैं। हम अखबार के नाते विकास की इस अलख के पहरुआ हैं। लेकिन इसे जलाए रखने के लिए जरूरी तेल मुल्क के सबसे बड़े सूबे की जनता से आता है। आप और हम मिलकर महसूस कराएंगे कि उत्तरप्रदेश अब विकास की दौड़ में आगे आना चाहता है।

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