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विकास की ललक में टूट गए दायरे

न कोई आक्षेप, न तंज और न एक-दूसरे पर पलटवार। यूपी के विकास की चिंता सियासी तकाजों पर भारी थी। दैनिक जागरण के फोरम ने शनिवार को बंदिशें तोड़ दीं। संवाद की श्रृंखला ने न सिर्फ दायरे तोड़े बल्कि तमाम तरह की संभावनाओं के दरवाजे खोले।

By Edited By: Published: Sun, 14 Oct 2012 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2012 11:27 AM (IST)
विकास की ललक में टूट गए दायरे

लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। न कोई आक्षेप, न तंज और न एक-दूसरे पर पलटवार। यूपी के विकास की चिंता सियासी तकाजों पर भारी थी। दैनिक जागरण के फोरम ने शनिवार को बंदिशें तोड़ दीं। संवाद की श्रृंखला ने न सिर्फ दायरे तोड़े बल्कि तमाम तरह की संभावनाओं के दरवाजे खोले।

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केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश लोगों के सवालों से जवाब दे ही रहे थे कि राज्य सरकार के मंत्री अंबिका चौधरी व राम गोविंद चौधरी भी उनके सामने खड़े हो गए। इस उम्मीद में कि शायद कोई हल सामने आ जाए। बिना लाग-लपेट अंबिका चौधरी का सीधा सा सवाल-'केंद्र की सरकार हमारे लिए क्या करने जा रही है?' जवाब भी नपा-तुला लेकिन दोस्ताना लहजे में-'पर्यटन व पर्यावरण संरक्षण पर राज्य सरकार के साथ मिलकर काम किया जाएगा।' बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने कक्षा आठ तक के बच्चों की परीक्षाएं न कराने के फैसले पर केंद्र को घेरने की कोशिश की तो जयराम रमेश ने बिना तल्ख हुए एक नया सवाल खड़ा कर राज्य के लिए ही चुनौती खड़ी कर दी। उन्होंने कहा कि इसका जवाब भी खोजा जाए कि यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में 35 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई क्यों कर रहे हैं। प्रदेश सरकार में संस्थागत वित्त विभाग के सचिव अवनीश अवस्थी भी प्रोटोकाल का दायरा भूलकर केंद्रीय मंत्री से सवाल कर बैठे कि आखिर विकास में ब्यूरोक्रेसी की भूमिका बेहतर कैसे हो सकती है। पूर्व नौकर शाह और उदर््-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति अनीस अंसारी ने भी जिज्ञासा का समाधान चाहा। आशुतोष शुक्ल ने पूर्वाचल के पिछड़ेपन और धर्मेद्र सिंह ने बनारस को लेकर अपनी चिंताएं केंद्रीय मंत्री से जाहिर की।

जयराम रमेश ही नहीं, भाजपा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भी सियासी दायरों से बाहर आकर लोगों के जवाब दिए। एक ने देश में इमरजेंसी जैसे हालात बताए तो उन्होंने सीधे तौर पर इसे नकार दिया और कहा कि इमरजेंसी जैसे हालात एक मुहावरा होता जा रहा है। इतनी खराब स्थिति नहीं है। इमरजेंसी बहुत खराब स्थिति थी। एक सवाल पर उन्होंने बेबाकी से स्वीकार किया कि राजनीतिक दलों के नेता भी नकारात्मक प्रवृत्तियों के लिए जिम्मेदार हैं। डा. मंगला राय ने भी हर किसी के सवालों का बाकायदा समय लेकर जवाब दिया।

यह दुर्लभ अवसर था कि देश के तीन बड़े उद्यमी खुले मंच पर थे। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, लखनऊ के गणेश चतुर्वेदी के एक सवाल पर हीरो कोर्प के जेएमडी एसके मुंजाल ने लेबर लॉ में परिवर्तन की जरूरत पर जोर दिया और इसे उद्यम क्षेत्र के लिए जरूरी बताया। यह पूछे जाने पर कि हमारे युवा आपके जैसा उद्यमी क्यों नहीं बनना चाहते, उनका जवाब था आप पर निर्भर करता है कि आप क्या बनना चाहते है। इतना सहज थे कि आस्मा हुसैन के टेक्सटाइल्स से जुड़े सवाल का जवाब देने खुद मंच से नीचे आ गए क्योंकि मुख्यमंत्री के आगमन की वजह से जवाब देने में व्यवधान उत्पन्न हो गया था।

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