Move to Jagran APP

भारतीय संसद के 60 वर्ष

विश्र्व के लोकतात्रिक इतिहास मे 13 मई को भारतीय ससद अपनी 60वी सालगिरह मनाएगा। भारत के ससद का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था। ससद अपनी 60वी सालगिरह के उपलक्ष्य मे 13 मई को एक विशेष सत्र बुलाएगी।

By Edited By: Published: Fri, 11 May 2012 01:23 PM (IST)Updated: Fri, 11 May 2012 02:49 PM (IST)
भारतीय संसद के 60 वर्ष

नई दिल्ली। विश्व के लोकतांत्रिक इतिहास में 13 मई को भारतीय संसद अपनी 60वीं सालगिरह मनाएगा। भारत के संसद का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था। संसद अपनी 60वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में 13 मई को एक विशेष सत्र बुलाएगी। इस विशेष सत्र में दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्य शामिल होंगे।

loksabha election banner

इस अवसर पर 13 मई को दोनों सदनों के एक विशेष सत्र का आयोजन किया जाएगा एवं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी। मालूम हो कि प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के पहले सत्र की शुरुआत संसद के संयुक्त सत्र से होती है और राष्ट्रपति द्वारा इस संयुक्त सत्र को संबोधित किया जाता है। माना जाता है कि इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी एवं लोकसभा की अध्यक्ष मीरा कुमार भी सांसदों को संबोधित करेंगे।

इस दिन दोनों सदनों में शाम चार बजे तक कार्यवाही चलेगी एवं वर्ष 1952 से भारत में संसदीय लोकतंत्र की यात्रा एवं उसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। इस मौके पर पांच एवं 10 रुपये के सिक्के एवं विशेष डाक टिकट जारी किए जाएंगे। 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देर से ही सही भारतीय संसद के उच्च सदन राच्यसभा ने भारी बहुमत से लोकसभा व विधान-सभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया।

हालांकि इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ सांसदों द्वारा किए गए शर्मनाक अशोभनीय व्यवहार, नारेबाजी तथा राच्यसभा के सुरक्षा गार्ड के साथ भी हाथापाई की घटना से संसदीय घाव के निशान अवश्य बनते दिखे। बावजूद इसके भारतीयों के लिए आधुनिक लोकतंत्र का यह एक बड़ा उपहार है। राजीव गांधी ने सबसे पहले लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की पहल की। इस तरह 1986 से 2009 तक विभिन्न सरकारों ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए संसद में प्रस्ताव-विधेयक लाने की कोशिश की।

उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद के 1952 के सत्र में लोक सभा की कुल 103 बैठकें आयोजित हुई थीं। आंकड़ों पर नजर डालें तो 1974 तक लगातार बैठकों की संख्या 100 से ज्यादा रहीं। 1956 में तो सबसे ज्यादा 151 बैठकें हुई थीं, लेकिन 1975 से बैठकों की संख्या में गिरावट आनी शुरु हो गई। 1974 में 119 के मुकाबले 1975 में केवल 63 बैठके हुई थीं। 1974 के बाद 2011 तक केवल पांच बार ऐसा हुआ कि बैठकों की संख्या 100 के पार गई। 1975 में आपातकाल के दौरान लोकसभा की कुल 63 बैठकें हुईं। अब तक 2008 में सबसे कम केवल 46 बैठकें हुई।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.