योगेश्वर ने स्वर्णिम सफलता का श्रेय इन खास लोगों को दिया
एशियन गेम्स में 28 साल बाद भारत को कुश्ती में स्वर्ण पदक दिलाने वाले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने अपनी सफलता का श्रेय साथी पहलवान
अभिषेक त्रिपाठी, धर्मशाला। एशियन गेम्स में 28 साल बाद भारत को कुश्ती में स्वर्ण पदक दिलाने वाले भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त ने अपनी सफलता का श्रेय साथी पहलवान सुशील कुमार, गुरु महाबली सतपाल और अपने प्रशिक्षकों को दिया।
इंचियोन में पदक जीतने के बाद योगेश्वर ने कहा, 'सुशील इस बार एशियन गेम्स में नहीं खेल रहा था। मैं सबसे सीनियर था और मुझे इसका अच्छी तरह से इसका अहसास था। पिछले दो दिनों में पुरुष पहलवान कुछ खास नहीं कर सके थे, जिसके बाद मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई। मेरी नजरें स्वर्ण पर थी और इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की थी। मैं यह नहीं देख रहा था कि मेरे सामने कौन सा पहलवान है। एशियन गेम्स के लिए मैंने चार नए दांव तैयार किए थे। मैंने खुद पर दबाव नहीं लिया और खुद को शांत रखा। भारत को स्वर्ण दिलाकर मैं बेहद खुश हूं।'
एशियन गेम्स में साथी पहलवानों के प्रदर्शन पर लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर ने कहा कि हमने अच्छी तैयारी की थी, लेकिन नतीजे हमारे पक्ष में नहीं रहे। हमें बजरंग से काफी उम्मीदें है। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता है और मुझे भरोसा है कि वह कुश्ती में भारत को एक और पदक दिलाएगा।
योगेश्वर की सफलता पर गुरु सतपाल ने कहा कि सुशील ने जो परंपरा शुरू की थी, उसे योगेश्वर ने आगे बढ़ाया है। एशियन गेम्स के लिए हमने उसे चार नए दांव सिखाए थे, जिसमें टेगा प्रमुख था जिसका उसने फाइनल में इस्तेमाल किया। इस दांव का फायदा योगेश्वर को मिला। खास बात रही कि मुकाबले के दौरान उसमें उतावलापन नहीं दिखा। वजन बदलने के कारण भी उसने दबाव नहीं लिया। उसने पूरी सावधानी बरती, उसी का नतीजा है कि हमारे पास पदक आया। एशियन गेम्स के लिए रवाना होने से पहले योगेश्वर ने पैर छूकर स्वर्ण जीतने का वादा किया, जिसे उनसे निभाया। भारतीय कुश्ती जगत उसके प्रदर्शन से खुश है।
लंदन ओलंपिक के रजत पदक विजेता पहलवान सुशील ने कहा कि योगेश्वर ने हमारी उम्मीदों को पूरा किया। वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ पहलवानों मेंं से एक है। आज का प्रदर्शन बताता है कि वह रियो ओलंपिक में भी पदक का दावेदार है। एशियन गेम्स में योगेश्वर के खिलाफ विपक्षी पहलवान दबाव में दिखे। ज्यादातर फिटेले (योगेश्वर का परिचित दांव) के खिलाफ तैयारी करके आए थे, लेकिन इन खेलों में उसने अपने दांवों को बदला, जिससे उसे सफलता मिली।