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कभी 1 रुपए में कुश्ती लड़ने वाले संग्राम सिंह बनाएंगे पहलवान केडी जाधव पर फिल्म

संग्राम सिंह ने बताया कि कुश्ती ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, इसलिए वे भी इस खेल को कुछ लौटाना चाहते हैं।

By Bharat SinghEdited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 01:07 PM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2017 01:25 PM (IST)
कभी 1 रुपए में कुश्ती लड़ने वाले संग्राम सिंह बनाएंगे पहलवान केडी जाधव पर फिल्म
कभी 1 रुपए में कुश्ती लड़ने वाले संग्राम सिंह बनाएंगे पहलवान केडी जाधव पर फिल्म

चंडीगढ़, सुनील यादव। अखाड़े से अपने प्रोफेशनल जीवन की शुरुआत करने वाले अंतरराष्ट्रीय पहलवान और रिएलिटी टीवी स्टार संग्राम सिंह अब आजादी के बाद पहला एकल ओलंपिक पदक जीतने वाले पहलवान केडी जाधव पर फिल्म बनाएंगे। इसके लिए तैयारी हो चुकी हैं और जल्द ही महाराष्ट्र में इसकी शूटिंग शुरू होगी।

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फिल्म के माध्यम से जाधव की उन खूबियों को जनता के सामने लाया जाएगा, जिनके माध्यम से उन्होंने संसाधनों के अभाव में अपनी तैयारी की और ओलंपिक खेलों में देश का सिर ऊंचा किया। एक कार्यक्रम में भाग लेने आए 'बिग बॉस' फेम संग्राम सिंह ने दैनिक जागरण को बताया कि कुश्ती ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, इसलिए वे भी इस खेल को कुछ लौटाना चाहते हैं।'

उन्होंने बताया कि इसी के चलते कुश्ती में देश को पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले महाराष्ट्र के खशाबा दादासाहेब जाधव के जीवन पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया। संग्राम का कहना था कि आजादी के बाद एथलेटिक्स में देश को पदक दिलाने वाले जाधव पहले खिलाड़ी थे। उससे पहले सिर्फ हॉकी की टीम स्पर्धा में ही भारत ने ओलंपिक पदक जीते थे।

रोहतक के मदीना गांव में पैदा हुए संग्राम सिंह का बचपन कष्टों और बीमारियों से जूझते हुए बीता। इसके बावजूद उन्होंने शरीर को मजबूत बनाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। कुश्ती की शुरुआत में वे ग्रामीण खेल मेलों में जाकर दांव-पेंच आजमाते थे। उन्होंने मेलों में एक रुपये, दो रुपये और पांच रुपये की कुश्तियां लड़ीं। जीत से हौसला बढ़ने पर प्रदेशभर में होने वाले मेलों में भाग लेकर बड़ी कुश्तियां जीतने लगे।

हाल ही में दादरी की महिला खिलाड़ियों गीता और बबीता फोगाट पर आमिर खान द्वारा बनाई गई फिल्म 'दंगल' के बारे में उन्होंने बताया कि इस फिल्म से कुश्ती को काफी फायदा मिला है। गांवों के अखाड़ों में कुश्ती लड़ने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। संग्राम के पैतृक गांव में ही पांच-छह अखाड़ों में काफी संख्या में पहलवान कुश्ती के दांव-पेंच सीखने आने लगे हैं।

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युवा खिलाड़ियों के लिए उन्होंने संदेश दिया कि कभी हार नहीं मानें। व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन उसका मन है, कभी मन को कमजोर नहीं होने दें। व्यक्ति जब मन में ठान लेता है कि उसे जीतना है तो जीत निश्चित है।

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