दूध का दूध और पानी का पानी चाहता है पीएमओ
नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में फंसने के मामले को खेल मंत्रालय ने ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी गंभीरता से लिया है।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली।नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में फंसने के मामले को खेल मंत्रालय ने ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी गंभीरता से लिया है। जिससे राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के होश फाख्ता हो गए हैं। पीएमओ की तरफ से साफ-साफ कह दिया गया है कि यह बहुत गंभीर मामला है और जल्द से जल्द दूध का दूध, पानी का पानी होना चाहिए।
इसके बाद से नाडा के अधिकारियों की भी नींद उड़ गई है। जहां केंद्र सरकार ओलंपिक अभियान को इतनी संजीदगी से ले रही है वहीं, पदक के दावेदार पहलवान का डोपिंग में फंसना और उसमें साजिश की आशंका होना चिंता का विषय है। भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के शीर्ष अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पीएमओ ने इस मामले को बेहद संजीदगी से लिया है। इस प्रकरण में नाडा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार जहां नाडा दूसरे एथलीटों का महीने में एक बार टेस्ट लेती है वहीं, नरसिंह का एक महीने के अंदर तीन बार डोप टेस्ट लिया गया। यही नहीं खेल मंत्रलय, कुश्ती महासंघ, आइओए और यहां तक की राष्ट्रीय आयोजन समिति (एनओसी) तक को आधिकारिक सूचना नहीं दी गई। दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद रविवार को एनओसी को नाडा की ई मेल मिली है। यही नहीं नाडा ने सीधे रियो ओलंपिक की आयोजन समिति को इसकी जानकारी दे दी और आइओए को अंधेरे में रखा गया। ये अद्भुत मामला है। सवाल यह भी है कि जहां अन्य टेस्ट की रिपोर्ट 35 दिन में आती है, वहीं इस मामले में सिर्फ 20-25 दिनों के अंदर रिपोर्ट आ गई है।
सूत्र ने कहा कि इसकी सीबीआइ जांच करानी चाहिए और जो दोषी हो उसे सजा दिलानी चाहिए। वह चाहे कितना बड़ा अधिकारी या खिलाड़ी हो। जब इनके फोन रिकॉर्ड चेक किए जाएंगे तो सच सामने आ जाएगा। ये भी पता किया जाना चाहिए कि इस मामले में नाडा के कुछ अधिकारी अति सक्रिय क्यों थे? अगर इसी तरह चलता रहा तो जब जो जिसको फंसाना चाहेगा सफल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे देश की बदनामी हो रही है। ये छोटा मामला नहीं है। मेरी नजर में तो ये साजिश है। मेरे बेटे के खिलाफ साजिश हुई है। कुछ लोग चाहते हैं कि नरसिंह ओलंपिक में हिस्सा न ले सके। डोपिंग में नरसिंह का नाम आने से मेरी दुनिया ही उजड़ गई। जब से नरसिंह ने सुशील का पत्ता काट कर ओलंपिक का टिकट कटाया है, तब से दिल्ली के लोग नहीं चाहते कि काशी का लाल रियो जाए। मेरी सरकार से मांग है कि सच्चाई को जल्द से जल्द सबके सामने लाया जाए। 1-पंचम यादव (नरसिंह के पिता)
नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में फंसने और उनके साजिश के आरोप लगाने के बाद ये भी सवाल उठने लगे कि कहीं इसमें सुशील एंड कंपनी का हाथ तो नहीं। भारतीय कुश्ती महासंघ के अधिकारी भी कह रहे हैं कि नरसिंह का इतिहास साफ-सुथरा रहा है और उसके साथ साजिश हुई है। दैनिक जागरण ने इसे लेकर सुशील के कोच और ससुर सतपाल पहलवान से बात की।
पेश हैं मुख्य अंश-
’ इस प्रकरण के बारे में क्या कहेंगे?-बहुत ही दुखद है। कुश्ती के लिए काला दिन है। मैं तो व्यक्तिगत तौर पर बहुत दुखी हूं। अब यही दिन देखना बाकी रह गया था।’ सब कह रहे हैं कि इसमें किसी की साजिश है?-अब जो फंसता है वह तो यही कहता है। किसी ने जाकर उसको इंजेक्शन थोड़ी न ही लगा दिया। कुछ किया होगा इसीलिए डोप टेस्ट में फेल हो गया। ये भारत के लिए बहुत खराब हुआ है। ओलंपिक से पहले ऐसा नहीं होना चाहिए था।
’ नरसिंह की वजह से सुशील रियो नहीं जा पाए। कुछ लोग आप लोगों पर भी सवाल उठा रहे हैं?1-सुशील या मैं ऐसा क्यों करेंगे? हम हाई कोर्ट तक गए, लेकिन वहां जब फैसला हमारे पक्ष में नहीं आया तो हम शांत हो गए। सुप्रीम कोर्ट भी नहीं जाने का फैसला मेरा और सुशील का था, क्योंकि तब ओलंपिक के लिए डेढ़ माह का समय बचा था। ऐसे में पहलवानों की तैयारियों में दिक्कत होती और हमने सुप्रीम कोर्ट नहीं जाने का फैसला किया।’लेकिन नरसिंह क्यों डोप लेगा?-हो सकता है कि उस पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव हो इसलिए उसने ऐसा किया हो? मुझे तो कोई साजिश नजर नहीं आती है। सुशील की जगह वह ओलंपिक जा रहा है तो पदक जीतने का दबाव तो उस पर होगा ही। इससे पहले 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल में सुशील ने नरसिंह को हराया था।
’ इस प्रकरण के बाद क्या सुशील से आपकी बात हुई?-नहीं, मेरी बात नहीं हुई, लेकिन निश्चित ही वह दुखी होगा। वह तो पहले ही टूट चुका है, इसीलिए आपने देखा होगा कि हमने पिछले 20-25 दिन से किसी से कुछ नहीं कहा। जिसने देश के लिए दो पदक जीते उसके साथ ये व्यवहार किया गया। उसने तो यही कहा था कि ट्रायल करा दो, वह यह तो नहीं कह रहा था कि मुझे रियो भेज दो। फिर भी हमने सब्र कर लिया कि देश के लिए पदक आना चाहिए। हम इतना चाहते थे कि भारत का पदक आए। अब चाहे वह सुशील लाए या नरसिंह, लेकिन सब गड़बड़ हो गया।’ क्या इसकी जांच होनी चाहिए?-ये फैसला खेल मंत्रलय और डब्ल्यूएफआइ को लेना है। इसमें मैं कुछ नहीं कह सकता।