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अब भारतीय एथलीटों पर उठी अंगुली

दुनियाभर के खिलाड़ियों में ब्लड डोपिंग के लिए दोषी पाये जाने वाले खिलाडि़यों में अच्छी संख्या में भारतीयों के नाम भी आए हैं, हालांकि यहां के विशेषज्ञों को स्पष्ट नहीं है कि ऐसा कैसे हो सकता है।

By ShivamEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 11:14 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 11:18 AM (IST)
अब भारतीय एथलीटों पर उठी अंगुली

नई दिल्ली। दुनियाभर के खिलाड़ियों में ब्लड डोपिंग के लिए दोषी पाये जाने वाले खिलाड़ियों में अच्छी संख्या में भारतीयों के नाम भी आए हैं, हालांकि यहां के विशेषज्ञों को स्पष्ट नहीं है कि ऐसा कैसे हो सकता है।

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जर्मन टेलीविजन चैनल एआरडी और ब्रिटेन के 'संडे टाइम्स' ने अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (आइएएएफ) से लीक हुए आंकड़ों के हवाले से जानकारी दी है कि पांच हजार प्रतियोगियों के लिए गए खून के टेस्ट में बहुत संख्या में खिलाड़ी दोषी पाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2001 से 2012 तक के ओलंपिक खेलों और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेताओं तक की रक्त की रिपोर्ट संदिग्ध पाई गई हैं।

आंकड़े देखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि 2001 से 2012 के बीच हुए ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेलों में भाग लेने वाले या फिर पदक जीतने वाले 800 एथलीटों के रक्त जांच के नतीजे शक पैदा करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 2012 में हुए लंदन ओलंपिक खेलों में दस पदक उन एथलीटों ने जीते जिनके टेस्ट नतीजे संदिग्ध थे।

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संडे टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार संदिग्ध ब्लड टेस्ट वाले खिलाडि़यों में भारतीय भी शामिल हैं। बताया गया है कि कुल 12000 ब्लड टेस्ट में पांच फीसदी नमूने भारतीय खिलाडि़यों के संदिग्ध पाए गए हैं। एक भारतीय डोपिंग विशेषज्ञ के अनुसार भारत में रक्तडोपिंग संभव हो सकती है, क्योंकि एरथ्रोपोइटिन (ईपीओ) देश में उपल्बध है।

खेल मेडिसन विशेषज्ञ पीएसएम चंद्रन ने बताया, 'मै नहीं जानता कि रिपोर्ट में भारतीय खिलाडि़यों वाली बात कितनी सही है, लेकिन इसकी संभावना से पूरी तरह से इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि बाजार में एरथ्रोपोइटिन मिलती है।' उन्होंने कहा कि ब्लड डोपिंग दो तरह से हो सकती है। पहले इस तरह से होता था कि अपने ही खून को निकाल कर फ्रीजिंग स्तर पर रख लिया और प्रतियोगिता शुरू होने से ठीक पहले फिर शरीर में डाल लिया जाता था, जबकि आजकल जो तकनीक प्रयोग मे लाई जा रही है उसमें प्रतिबंधित ईपीओ अर्थात एरथ्रोपोइटिन को सीधे अपने शरीर में इंजेक्ट कर लिया जाए। ईपीओ बाजार में मौजूद है इसलिए भारत में ब्लड डोपिंग की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इस बारे में भारतीय एथलेटिक्स संघ (एएफआइ) और नाडा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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