एशियन गेम्सः तो अब कोच को ही संभालना पड़ेगा मैनेजेर का काम
भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और खेल मंत्रालय के अजीबो-गरीब निर्णयों का खामियाजा भारतीय एथलीटों को भुगतना पड़ेगा। 19 सितंबर से दक्षिण कोरिया के इंचियोन में
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और खेल मंत्रालय के अजीबो-गरीब निर्णयों का खामियाजा भारतीय एथलीटों को भुगतना पड़ेगा। 19 सितंबर से दक्षिण कोरिया के इंचियोन में होने वाले एशियन गेम्स के लिए पहले से ही देर से घोषित भारतीय दल से अलग-अलग खेलों के 25 टीम मैनेजरों का पत्ता कटने से भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) और खिलाडिय़ों के हाथ पांव फूल गए हैं। आइओए के अधिकारियों ने बुधवार को खेल मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत भी की, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय से अंतिम सूची आने के कारण उनकी हिम्मत नहीं पड़ी कि वे मैनेजरों के नाम दोबारा जुड़वा सकें। आइओए के महासचिव राजीव मेहता ने इसके लिए पीएमओ के अधिकारियों से भी बात की है।
अब कोचों को मैनेजर का काम करना पड़ेगा, जिससे एथलीट्स प्रभावित होंगे। एक कोच ने कहा कि इन बाबुओं को पता ही नहीं है कि मैनेजर के होने से खिलाडिय़ों और कोच को कितनी आसानी होती है। बड़ी प्रतियोगिताओं में मैनेजर मीटिंग होती है और जब वहां यह मीटिंग होगी तो हमारे यहां के मैनेजर होंगे ही नहीं। एथलीट के आने-जाने, रहने और अन्य सभी व्यवस्थाओं को मैनेजर देखता है। जबकि कोच का काम कोचिंग देना है। इससे अब हमारी ट्रेनिंग प्रभावित होगी।
अगर मुकाबले के दौरान कोई गड़बड़ होती है और विरोध दर्ज कराना है तो उसके लिए फीस जमा करनी होती है। तुरंत डॉलर का इंतजाम करना और विरोध दर्ज कराना मैनेजर का ही काम है। खेल अधिकारियों की गलती से पदकों की उम्मीदों पर असर पड़ेगा। हालांकि खेल अधिकारी भी समझ रहे हैं कि गलती हो गई है, लेकिन पीएमओ से दोबारा अपील करने की उनकी हिम्मत नहीं है। अब इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ेगा।
भारतीय दल के प्रमुख आदिल जे सुमरीवाला ने कहा कि खिलाडिय़ों को डोप टेस्ट के लिए ले जाना, ट्रांसपोर्ट का बंदोबस्त करना, ट्रेनिंग के लिए ग्राउंड उपलब्ध करवाना, मैच नहीं होने पर खाने-पीने का प्रबंध करना। उद्घाटन दिवस पर कौन खिलाड़ी जाएगा, कौन नहीं जाएगा। यह सब काम अलग-अलग टीमों के मैनेजर का होता है। राजीव मेहता ने कहा कि टीमें बिना मैनेजर के जाएंगी तो देश की किरकिरी हो जाएगी।