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कभी फुटबॉल खरीदने के नहीं थे पैसे, अब है स्टार

मणिपुर के एक दूरदराज के गांव में गरीबी और गोलियों की गूंज के बीच मिलन का बचपन बीता। वहां फुटबॉल खेलकर मिलन का करियर किस तरह परवान चढ़ा है, उससे देश के करोड़ों बच्चों को प्रेरणा मिल सकती है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Sun, 18 Sep 2016 11:04 AM (IST)Updated: Sun, 18 Sep 2016 01:04 PM (IST)
कभी फुटबॉल खरीदने के नहीं थे पैसे, अब है स्टार

राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली। क्या कोई सोच सकता था कि मणिपुर का एक लड़का जिसके पास फुटबॉल खरीदने के पैसे नहीं थे और जो गेंद के बजाय मणिपुरी फल "नोबाब" से अभ्यास किया करता था, वह कभी गियनलुका जम्ब्रोता जैसे दिग्गज कोच के साथ ट्रेनिंग कर सकेगा। लेकिन दिल्ली डायनामोज फुटबॉल क्लब के नए मिडफील्डर मिलन सिंह ने तमाम दुश्वारियों को मात देकर, अपने करियर में इस बुलंदी को हासिल कर लिया है।

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मणिपुर के एक दूरदराज के गांव में गरीबी और गोलियों की गूंज के बीच मिलन का बचपन बीता। वहां फुटबॉल खेलना तो मानो सपना ही था, लेकिन मिलन ने इस सपने को देखा भी और जिया भी। मिलन का करियर किस तरह परवान चढ़ा है, उससे देश के करोड़ों बच्चों को प्रेरणा मिल सकती है।

मिलन कहते हैं, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि उस जगह से आगे बढ़कर मैं यहां तक पहुंच सकूंगा। लेकिन मेरी इच्छाशक्तिऔर फुटबॉल की दुनिया का सितारा बनने का जुनून मुझे यहां तक लाया है। ये एक ऐसा सफर था, जिसमें परेशानियां ही परेशानियां थीं, लेकिन मुश्किलों ने मेरे अंदर के फुटबॉलर को और मजबूत बनाया है।"

मिलन को इसी साल डीएसके शिवाजियंस से लोन पर लिया गया है और वह इंग्लैंड व स्वीडन में हुई प्री सीजन ट्रेनिंग का हिस्सा बने। वह मानते हैं कि प्री सीजन ट्रेनिंग से टीम को काफी फायदा मिलेगा। मिलन ने प्री सीजन के मुकाबलों में टीम के सभी खिलाड़ियों के साथ बेहतरीन तालमेल दिखाया है।

जिसका सकारात्मक नतीजा इंग्लैंड और स्वीडन में खेले गए अभ्यास मुकाबलों में टीम के संघर्षपूर्ण खेल के तौर पर सामने आया है। मिलन मानते हैं, इंग्लैंड और स्वीडन में बिताए तीन हफ्ते शानदार रहे। टीम में काफी बढ़िया तालमेल बन गया है और खिलाड़ी एक दूसरे के साथ घुलमिल गए हैं। हम एक दूसरे के खेलने के तरीके से वाकिफ हैं और इस सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन करने को बेताब हैं। खुद की बात करूं, तो दुनिया के दिग्गज खिलाड़ियों से मिलना और गियनलुका जैम्ब्रोटा से ट्रेनिंग मिलना हम जैसे खिलाड़ियों के लिए बेशकीमती अनुभव रहा है।

मणिपुर के इस 25 साल के खिलाड़ी को हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन मिलन चुनौतियों से घबराए नहीं, बल्कि गरीबी और बदहाली को मात देकर सफलता का सफर तय किया। ऐसे हालात किसी कमजोर शख्स को तोड़ देते, लेकिन मिलन किसी और ही मिट्टी के बने थे जो बड़े मंच पर पहुंच कर मिसाल बन चुके हैं।

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