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शीर्ष पर रहते हुए संन्यास लेना चाहते हैं लिएंडर पेस

भारतीय टेनिस दिग्गज लिएंडर पेस का कहना है कि वह महान पेले और मुहम्मद अली की तरह शीर्ष पर रहते हुए अपने खेल को अलविदा

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 10:02 AM (IST)
शीर्ष पर रहते हुए संन्यास लेना चाहते हैं लिएंडर पेस

बेंगलूर। भारतीय टेनिस दिग्गज लिएंडर पेस का कहना है कि वह महान पेले और मुहम्मद अली की तरह शीर्ष पर रहते हुए अपने खेल को अलविदा कहना चाहते हैं। 41 की उम्र में भी बेहद फिट नजर आने वाले पेस ने साथ ही कहा कि 2016 रियो ओलंपिक का पदक उन्हें ऐसा मौका प्रदान कर सकता है।

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उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से ही मुहम्मद अली, पेले, माइकल जॉर्डन, कार्ल लुइस, रॉड लेवर जैसे महान खिलाडिय़ों का अनुसरण करता आया हूं, ये खिलाड़ी जब अपने-अपने खेल में चरम पर थे, तब इन्होंने खेल से संन्यास लिया था। मैं भी इसी परंपरा का पालन करना चाहता हूं।'

करियर में अभी तक 14 ग्र्रैंड स्लैम और एक ओलंपिक कांस्य पदक जीत चुके पेस महसूस करते हैं कि उनके जैसे एक टेनिस खिलाड़ी के शरीर में 'ताकत और लचीलेपन' का संतुलन बेहद जरूरी होता है। उन्होंने कहा, 'मेरा खेल गति और तेज रिफ्लेक्सेस पर टिका है, इसलिए मेरी ट्रेनिंग में चोट से बचने पर ज्यादा जोर होता है। मैं ट्रेनिंग के दौरान यह सुनिश्चित करता हूं कि मेरी मांसपेशियां अच्छी स्थिति में रहें। आप ज्यादा मजबूत और कम लचीले नहीं हो सकते। दोनों के बीच संतुलन बेहद जरूरी है।'

फिलहाल पेस निजी जिंदगी में बेहद ही कठिन दौर से गुजर रहे हैं। अपनी बेटी की कस्टडी के लिए वह पार्टनर रिया पिल्लै के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। उन्होंने इस मसले पर तो कुछ भी कहने से मना कर दिया, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या इससे इस साल उनके प्रदर्शन पर कोई असर पड़ा, तो उन्होंने जोर देते हुए कहा, 'हां, इससे मैं और मेरा प्रदर्शन प्रभावित हुआ।'

इसके बावजूद पेस जानते हैं कि उच्च स्तर पर अपने प्रदर्शन को कैसे बरकरार रखना है। उन्होंने कहा, 'मैं यह पिछले कई सालों से करता आ रहा हूं। मैं शीर्ष स्तर पर टेनिस खेला हूं और अच्छी तरह से जानता हूं कि ग्र्रैंड स्लैम जीतने के लिए कैसे प्रदर्शन की जरूरत होती है और डेविस कप में दबाव भरे डबल्स मुकाबले कैसे जीते जाते हैं। मेरा अनुभव मुझे मुश्किलों से बाहर निकालता है। लेकिन आखिरकार मैं भी एक इंसान हूं और मुझे भी तकलीफ होती है। जिस परिस्थिति में मैं हूं उसमें मेरी जगह कोई भी दूसरा होता, उसे भी तकलीफ होती।'

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