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अर्जुन को धोखा देकर बन गए द्रोणाचार्य

द्वापर में द्रोणाचार्य ने अर्जुन के लिए एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रूप में अंगूठा मांग लिया था, लेकिन कलियुग में द्रोणाचार्य बनने के लिए अर्जुन को ही धोखा दिया जा रहा है। राजस्थान के रहने वाले व दिल्ली में इन्कम टैक्स इंसपेक्टर के तौर पर कार्यरत अर्जुन पुरस्कार विजेता

By Sachin kEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2015 10:59 AM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2015 11:56 AM (IST)
अर्जुन को धोखा देकर बन गए द्रोणाचार्य

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। द्वापर में द्रोणाचार्य ने अर्जुन के लिए एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रूप में अंगूठा मांग लिया था, लेकिन कलियुग में द्रोणाचार्य बनने के लिए अर्जुन को ही धोखा दिया जा रहा है। राजस्थान के रहने वाले व दिल्ली में इन्कम टैक्स इंसपेक्टर के तौर पर कार्यरत अर्जुन पुरस्कार विजेता पैरा एथलीट जगसीर सिंह ने आरोप लगाया है कि 2011-12 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड पाने वाले कोच सत्यपाल सिंह ने उनकी उपलब्धियों का दुरुपयोग कर यह पुरस्कार हासिल किया है।

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2010 में ग्वांग्झू पैरा एशियन गेम्स में त्रिकूद में स्वर्ण व लंबी कूद में रजत पदक जीतकर इतिहास रचने वाले जगसीर ने कहा कि मैंने बचपन से लेकर अब तक आरडी सिंह से प्रशिक्षण लिया है। कैंप के दौरान भी वही मेरे मुख्य कोच रहे हैं। मेरे व देवेंद्र झाझडिय़ा के कोच होने के तौर पर उन्हें 2006 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया जा चुका है। सत्यपाल ने धोखा देकर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किया है। मैं इसके खिलाफ खेल मंत्रालय में शिकायत करूंगा।

पैरा एथलीटों के लिए काम करने वाले प्रदीप राज ने कहा कि मैंने इस मामले में आरटीआइ लगाई थी। उससे पता चला कि सत्यपाल ने द्रोणाचार्य अवॉर्ड पाने के लिए जो कागज लगाए थे, उनमें सबसे बड़ी उपलब्धि जगसीर की है, जबकि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिसमें जगसीर ने सत्यपाल को अपना प्रशिक्षक माना हो और उनको द्रोणाचार्य अवॉर्ड देने के लिए संस्तुति की हो।

सत्यपाल ने जो फाइल खेल मंत्रालय को भेजी थी उसमें उनके पहले शिष्य के तौर पर ही जगसीर का नाम दर्ज है, जबकि वह इससे इन्कार कर रहे हैं। आरडी सिंह ने कहा कि जगसीर ने हमेशा मुझसे प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस मामले में सरकार को धोखे में रखा गया। मैं इसके खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट जाऊंगा।

सत्यपाल ने ऋषिकांत शर्मा को भी अपना शिष्य बताया है और उनकी उपलब्धियों को अपनी फाइल में दर्ज किया है। ऋषिकांत ने 2011 में तुर्की में हुई चौथी आइबीएसए विश्व चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था। ऋषिकांत ने कहा कि मेरे कोच नवल सिंह हैं और मैंने इसका शपथपत्र भी दिया हुआ है। सत्यपाल मेरे कोच नहीं हैं, तो मेरी उपलब्धियों को अपनी फाइल में कैसे लगा सकते हैं।

वहीं, सत्यपाल ने कहा कि अगर ये खिलाड़ी ऐसा कह रहे हैं तो मैं क्या कर सकता हूं। मेरे पास इसके सुबूत हैं। जगसीर व ऋषिकांत के अलावा राम करन, संदीप, अंकुर धामा और रमनजीत जैसे खिलाडिय़ों को मैंने प्रशिक्षण दिया है। हालांकि, उनकी फाइल में सबसे ज्यादा उपलब्धि वाला एथलीट ही उन्हें अपना गुरु मानने से इन्कार कर रहा है।

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