ओलंपिक पदक सिर्फ 26 और हर चौथे दिन एक भारतीय डोपिंग से कलंकित कर रहा नाम
विश्व डोपिंग रोधक एजेंसी (वाडा) से भारत की एकमात्र मान्यता प्राप्त एजेंसी नाडा ने इस साल जून तक यानी कुल आठ साल में ही 852 एथलीटों को डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है।
नई दिल्ली, [अभिषेक त्रिपाठी]। 97 साल में भारत भले ही 26 ओलंपिक पदक जीत पाया हो, लेकिन औसतन हर चौथे दिन उसका एक एथलीट डोपिंग उल्लंघन का दोषी पाया जाता है। 1920-ओलंपिक में पहली बार अपना दल उतारने वाले भारत में डोपिंग रोकने के लिए जून 2009 में राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) का गठन हुआ था। विश्व डोपिंग रोधक एजेंसी (वाडा) से भारत की एकमात्र मान्यता प्राप्त एजेंसी नाडा ने इस साल जून तक यानी कुल आठ साल में ही 852 एथलीटों को डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है।
भारतीय खेलों के लिए ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पिछले साल रियो ओलंपिक से ठीक पहले पहलवान नरसिंह यादव और गोला फेंक एथलीट इंद्रजीत सिंह सहित कई एथलीटों के डोप टेस्ट में फंसने से भारत की बदनामी हुई थी। नरसिंह ने खुद के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया था और इसकी सीबीआइ जांच भी चल रही है। एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला गोला फेंक एथलीट मनप्रीत कौर के दो प्रतियोगिताओं में लिए गए यूरिन के ए-नमूने इसी सप्ताह फेल हो चुके हैं, जिससे उन पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया गया है। बी-नमूना फेल होने पर उनके पदक भी छीन लिए जाएंगे। मनप्रीत के फंसने और एक स्टिंग में भारतीय खेलों के हुक्मरानों के बेतहाशा डोपिंग की बात मानने से इन बदनाम गलियों में भारत का नाम और कलंकित हुआ है। नाडा के आंकड़ों के मुताबिक इस साल छह महीने में ही 43 भारतीय एथलीट डोपिंग में सजा पा चुके हैं।
लगातार 3 साल शीर्ष-3 में भारत
वाडा की डोपिंग करने वाले देशों की हालिया रिपोर्ट में भारत तीसरे नंबर पर है। यह रिपोर्ट वर्ष 2015 के डोपिंग उल्लंघन के आंकड़ों पर केंद्रित है। भारत 2013 और 2014 में भी डोपिंग उल्लंघन के मामले में विश्व में तीसरे नंबर पर था। अभी वाडा ने 2016 की वैश्विक रिपोर्ट नहीं जारी की है। 2015 में भारत से आगे सिर्फ रूस और इटली रहे हैं।