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प्रतिबंध से पहचान तक का सफर, खेल जगत के लिए मिसाल बनी ये टीम

रविवार को उसका मुकाबला चार बार की विश्व चैंपियन जर्मनी से होगा।

By Shivam AwasthiEdited By: Published: Fri, 30 Jun 2017 09:17 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jun 2017 09:17 PM (IST)
प्रतिबंध से पहचान तक का सफर, खेल जगत के लिए मिसाल बनी ये टीम
प्रतिबंध से पहचान तक का सफर, खेल जगत के लिए मिसाल बनी ये टीम

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। फुटबॉल में सालों से कुछ देशों के नाम ऐसे रहे हैं जो इस खेल में 'स्टार' टीमों के नाम से जाने गए। इनमें से कभी-कभी ही ऐसे देश शिखर पर चढ़ते हुए नजर आए जिनका नाम सिर्फ प्रतिभागी के तौर पर लिया जाता था। इन्हीं में से एक है चिली जो अपने इतिहास में पहली बार फीफा कंफडरेशन कप में खेलने उतरा और यूरो चैंपियंस पुर्तगाल को हराकर पहली ही बार में फाइनल तक का सफर तय किया, जहां रविवार को उसका मुकाबला चार बार की विश्व चैंपियन जर्मनी से होगा।

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- 1962 में जगी पहली उम्मीद

1930 के पहले फीफा विश्व कप में पांचवां स्थान हासिल करने के बाद इस टीम ने अगले दो विश्व कप से अपना नाम वापस ले लिया था। उस समय लगा मानो ये टीम अब नहीं लौट पाएगी लेकिन 1962 विश्व कप की मेजबानी करते हुए चिली ने उस संस्करण में तीसरा स्थान हासिल करके सबका दिल जीत लिया। उस संस्करण में चिली ने छह में से चार मुकाबले जीते थे।

- लंबा सूखा और विवादित प्रतिबंध

1962 विश्व कप के बाद से यह टीम कभी भी उस कामयाबी को आगे ले जाती नहीं दिखी। 1966 से 2014 फीफा विश्व कप के बीच 13 संस्करण खेले गए जिनमें से छह में चिली क्वालीफाई तक नहीं कर सकी जबकि 1994 में उनके ऊपर प्रतिबंध लगा दिया गया। दरअसल, 1989 में चिली फुटबॉल टीम के गोलकीपर रोबर्टो रोजास ने एक विश्व कप क्वालीफाइंग मैच के दौरान खुद को जानबूझकर चोटिल कर लिया था ताकि उनकी टीम हार से बच सके। इसके बाद फीफा ने जांच बिठाई और रोबर्टो पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जबकि चिली पर एक विश्व कप का प्रतिबंध लगा दिया गया। दुनिया भर में इसकी कड़ी आलोचना हुई और यह फीफा इतिहास के सबसे विवादित मामलों में से एक रहा।

- कोपा अमेरिका ने जिंदा रखी उम्मीदें

फीफा विश्व कप में उनका इतिहास जैसा भी रहा हो लेकिन कोपा अमेरिका व साउथ अमेरिका चैंपियनशिप ने इस खेल में चिली का विश्वास बरकरार रखा। साउथ अमेरिका चैंपियनशिप में वे तीन बार तीसरे पायदान पर रहे जबकि दो बार उपविजेता रहे, वहीं कोपा अमेरिका में दो बार उपविजेता रहे और पिछले दो संस्करणों में वे चैंपियन भी बने।

- एक अर्जेंटीनी मैनेजर का कमाल

 

चिली की टीम 38 बार कोपा अमेरिका टूर्नामेंट में खेलने उतरी लेकिन वे पहली बार 2015 में यह खिताब जीतने में सफल रहे। जबकि पिछले साल भी कोपा अमेरिका जीता। दोनों ही मौकों पर उन्होंने दिग्गज अर्जेंटीनी टीम को फाइनल में मात दी। वहीं इस साल कंफेडरेशन कप में भी पहली बार जगह बनाने में सफल रहे। टीम में अचानक आए इस बदलाव का श्रेय खिलाड़ियों के साथ-साथ अर्जेंटीनी मैनेजर मार्सेलो बीलसा को भी जाता है। 2007 कोपा अमेरिका सेमीफाइनल में ब्राजील के खिलाफ मिली 1-6 से शर्मनाक हार के बाद बीलसा ने टीम में जुझारू खिलाड़ियों की ऐसी फेहरिस्त जमा की, कि 2002 और 2006 में पिछड़ने के बाद 2010 विश्व कप में वो क्वालीफाइ करने में सफल रहे।

- सांचेज और ब्रावो ने बदली पहचान 

एक समय था जब चिली के खिलाड़ियों की स्पेनिश या इंग्लिश फुटबॉल लीग में एंट्री मुश्किल होती थी लेकिन मार्सेलो बीलसा ने एलेक्सिस सांचेज और कप्तान क्लॉडियो ब्रावो जैसे खिलाड़ियों को टीम में जगह देकर सब कुछ बदल दिया। 28 वर्षीय फॉर्वर्ड खिलाड़ी सांचेज आज आर्सेनल क्लब से खेलते हुए इंग्लिश प्रीमियर लीग के सबसे महंगे खिलाड़ियों में से एक हैं और स्पेनिश दिग्गज बार्सिलोना उन्हें लेने का आतुर है। वो चिली की तरफ से सर्वाधिक 38 गोल करने वाले खिलाड़ी हैं और क्लॉडियो ब्रावो के साथ संयुक्त तौर पर सबसे ज्यादा 114 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले खिलाड़ी भी हैं।

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