बदले नियम, टूटेगी परंपरा, अब भारत में भी हो सकते हैं ओलंपिक
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद अपनी उस पुरानी परंपरा को अब तोड़ने जा रहा है जिसके तहत किसी एक देश के एक शहर को ओलंपिक की मेजबानी दी जाती थी। अब मेजबानी के लिए होने वाले ड्रॉ में बड़ा बदलाव किया जाएगा। अब कोई देश अपने देश में कितनी भी जगह ओलंपिक
लॉसान (स्विट्जरलैंड)। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद अपनी उस पुरानी परंपरा को अब तोड़ने जा रहा है जिसके तहत किसी एक देश के एक शहर को ओलंपिक की मेजबानी दी जाती थी। अब मेजबानी के लिए होने वाले ड्रॉ में बड़ा बदलाव किया जाएगा। अब कोई देश अपने देश में कितनी भी जगह ओलंपिक करा सकेगा, या फिर दो शहर एक साथ मेजबानी की दावेदारी भी कर सकेंगे, बस यही नहीं बल्कि दो देश भी मिलकर इस महाआयोजन की जिम्मेदारी ले सकेंगे। खर्चों व शहरों की स्थिति की वजह से अब तक इन खेलों की मेजबानी से दूर भागता भारत भी अब इस मेजबानी को हासिल करने का हौसला व हिम्मत दिखा सकता है।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के एजेंडा के तहत 40 सुझाव दिए गए थे जिसमें एक मुद्दा ये भी था। इसका लक्ष्य ओलंपिक खेलों को और आकर्षक, दिलचस्प और कम खर्चे वाला बनाने का है। ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष थॉमस बाक ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वो इसके जरिए विविधताएं लाना चाहते हैं। गौरतलब है कि विंटर ओलंपिक गेम्स के लिए इस तरह का प्रावधान पहले से चला आ रहा है और अब समर ओलंपिक में भी इसको लागू करने का मन बना लिया गया है। इसके अलावा इन प्रस्तावों में एक प्रस्ताव ये भी था कि ओलंपिक में रखे गए 28 खेलों की सीमित संख्या खत्म करके और खेलों को शामिल करने की छूट दी जाए जबकि 10,500 एथलीट और 310 मेडल इवेंट की संख्या बरकरार रखी जाए। जाहिर है इस प्रावधान के जरिए मेजबान देश अपनी पसंद के खेल को भी इन गेम्स में शामिल कर सकेगा जिसके जरिए बेसबॉल और सॉफ्टबॉल जैसे खेल भी इसमें शामिल हो सकेंगे जिनको पहले हरी झंडी नहीं मिली थी।
- क्या अब भारत करेगा मेजबानी की ठोस पहल?:
गौरतलब है कि भारत ने अब तक इन महान खेलों की मेजबानी नहीं की है। इसका कारण चाहे आर्थिक स्थिति बताई गई हो या शहरों से जुड़ी कोई और दिक्कत लेकिन इस नए प्रावधान के बाद भारत शायद इन खेलों को अकेले या उपमहाद्वीप के किसी अन्य देश के साथ मिलकर मेजबानी कर सकेगा। यही नहीं, किसी अन्य खेल को मेजबान द्वारा शामिल करने की छूट अगर कारगर साबित हुई तो मुमकिन है कि क्रिकेट भी इन खेलों का हिस्सा बन सके। फिर चाहे वो टी20 प्रारूप ही क्यों न हो।