रेसलर बजरंग पूनिया ने की गर्जना, 'मैं यहां पदक का रंग बदलने आया हूं'
विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गए बजरंग पूनिया की तैयारियों पर एक नजर...
नई दिल्ली, जेएनएन। फ्रांस की राजधानी पेरिस में सोमवार से शुरू हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भाग ले रहे बजरंग पूनिया (65 किग्रा) को पूरी उम्मीद है कि वह इस बार अपने पदक का रंग बदलने में जरूर कामयाब रहेंगे। 2013 के कांस्य पदक विजेता बजरंग से चैंपियनशिप को लेकर अनिल भारद्वाज ने बातचीत की। पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश-
विश्व चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों के पदकों की संख्या इतनी कम क्यों है?
यह सही है कि इस प्रतियोगिता में भारत के पदकों की संख्या कम है, लेकिन इससे पहले कई पहलवानों ने देश के लिए पदक जीते हैं। कई देश कुश्ती में हमसे आगे हैं, लेकिन अब हम उनको जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं। अब हर दिन रिकॉर्ड पलट रहे हैं।
आपको पदक का दावेदार माना जा रहा है। क्या आप पर दबाव होगा?
किसी भी खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश पदक की आशा रखता है। आप इसे दबाव न समझें। बल्कि यह खिलाड़ी को जीतने के लिए प्रेरित करता है। सबसे पहले आप समझें यहां पदक जीतना इतना आसान नहीं है। मैंने हर मुकाबले के लिए एक प्लान तैयार किया है। मेरा पहला टारगेट फाइनल में जगह बनाना है।
फ्रांस में करीब 20 दिन का प्रैक्टिस कैंप लगा था। कुछ ऐसे विदेशी पहलवानों के साथ प्रैक्टिस का मौका मिला होगा, जो मुकाबले में आएंगे?
हां, कैंप में तैयारी के लिए शानदार माहौल रहा। यहां कुछ अच्छे पहलवान मिले थे जिनके साथ प्रैक्टिस हुई। उसका फायदा मिलेगा।
आप 2015 में पदक नहीं जीत पाए थे। अब खुद कह रहे हैं कि यहां पदक जीतना आसान नहीं है। फिर कैसे पदक का रंग बदल पाएंगे?
दो वर्ष में बहुत कुछ बदल गया है। हमने उन खामियों को दूर कर दिया है जिनके कारण पदक से चूक गए थे। आज हम उस स्थिति में हैं कि दूसरे देश के पहलवान व कोच को मुकाबले से पहले विचार करना पड़ रहा है। यह भी उपलब्धि है।
कौन से देश के पहलवानों से ज्यादा कड़ा मुकाबला रहेगा?
विश्व चैंपियनशिप या ओलंपिक में आप यह तय नहीं कर सकते। यहां हर पहलवान पदक का दावेदार होता है। लेकिन ईरान, अमेरिका, क्यूबा, जापान, जार्जिया, रूस, कजाकिस्तान व अन्य कई देश हैं, जिनसे कड़ी टक्कर मिलेगी।
पेरिस में कितने पदकों की उम्मीद है?
हंसते हुए, मेरे पास इसका जवाब नहीं है।
साक्षी मलिक व विनेश फोगाट से पदक की कितनी उम्मीद है?
देश को पदक दिलाने में आप उन पर मुझ से ज्यादा विश्वास कर सकते हैं। वह दोनों इसकी प्रबल दावेदार हैं।