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शर्मनाकः भूखे खिलाड़ियों से पदकों की आस

खिलाड़ियों को पेट भर खाना व सोने के लिए बिस्तर नहीं मिले और उनसे पदक की आस लगाई जाए तो इसे बेमानी नहीं कहें तो और क्या? गाजियाबाद के जनहित स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय पैरालंपिक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में कुछ इसी तरह अव्यवस्थाओं से खिलाड़ी जूझते रहे। इनकी परेशानी का

By ShivamEdited By: Published: Mon, 23 Mar 2015 12:50 AM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2015 09:39 AM (IST)
शर्मनाकः भूखे खिलाड़ियों से पदकों की आस

विजय मिश्र, गाजियाबाद। खिलाड़ियों को पेट भर खाना व सोने के लिए बिस्तर नहीं मिले और उनसे पदक की आस लगाई जाए तो इसे बेमानी नहीं कहें तो और क्या? गाजियाबाद के जनहित स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय पैरालंपिक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में कुछ इसी तरह अव्यवस्थाओं से खिलाड़ी जूझते रहे। इनकी परेशानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रविवार दोपहर में प्रतियोगिता खत्म हो गई लेकिन शाम तक खिलाड़ी स्टेडियम के बाहर बस का इंतजार कर रहे थे। खेल मंत्रालय ने आयोजन को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते रिपोर्ट मांगी है।

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यूपी पैरालंपिक एसोसिएशन ने 20 से 22 मार्च तक जनहित स्पो‌र्ट्स एकेडमी में राष्ट्रीय पैरालंपिक एथलेटिक्स प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसमें अर्जुन पुरस्कार विजेता अमित सिरोहा, जगसीर सिंह, महावीर सिंह सहित देश के सभी राज्यों के पैरा खिलाड़ी शामिल हुए। पदक जीतने के लिए आए खिलाडि़यों को घोर अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। गंदगी के कारण शौचालय जाने में भी परेशानी हुई। पश्चिम बंगाल से आए खिलाडि़यों ने बताया कि उन्हें जमीन पर सोना पड़ा। हरियाणा के खिलाडि़यों ने बताया कि प्रतियोगिता के दौरान उन्हें सही समय पर खाना भी नहीं मिला। खाने की गुणवत्ता भी बेहद खराब थी। कई खिलाड़ी तो इतने नाराज दिखे कि उन्होंने आगे इस तरह की प्रतियोगिता में नहीं आने का मन बना लिया। तमिलनाडू के खिलाडि़यों ने बताया कि दोपहर में प्रतियोगिता खत्म हो गई लेकिन स्टेशन तक छोड़ने के लिए उन्हें शाम तक बस उपलब्ध नहीं कराई गई। एसोसिएशन फॉर डिसएबल पीपल संस्था की अध्यक्षा सुवर्णा राज ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में व्यवस्थाएं निम्न दर्जे की थीं। शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण इन खिलाडि़यों के रहने के लिए ग्राउंड फ्लोर पर व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन खिलाडि़यों को पहली और दूसरी मंजिल पर ठहराया गया। शौचालय के लिए बाहर जो व्यवस्था की गई थी उसमें पैरा खिलाडि़यों के लिए जाना संभव नहीं था। इससे खराब आयोजन कोई और नहीं हो सकता।

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राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस तरह की बदइंतजामी पर खेल मंत्रालय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार द्वारा खेल को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय प्रतियोगिता के आयोजन के लिए इंडियन पैरालंपिक कमेटी को हर तरह से मदद करती है। फिर भी इस तरह से राष्ट्रीय प्रतियोगिता का आयोजन होना बेहद गंभीर है। खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय प्रतियोगिता के आयोजन को लेकर गाइडलाइन जारी की जाएगी, जिससे कि भविष्य में इस तरह की परेशानी खिलाडि़यों को नहीं झेलनी पड़े। यूपी पैरालंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष और आयोजन समिति के सचिव कविंद्र चौधरी का कहना है कि प्रतियोगिता में 515 खिलाडि़यों को शामिल होना था लेकिन खिलाड़ी और उनके तीमारदारों एवं स्टाफ की संख्या बढ़कर 1240 हो गई। जिसके कारण कुछ खिलाडि़यों को दिक्कतें हुई।

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