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भारतीय एथलीटों को पेशेवर बना रहे विदेशी कोच

एक का नाम डॉक्टर निकोलेई स्नोसारेवा और दूसरे का नाम एलेक्जेंडर अर्तसिबाशेव। एक यूक्रेन का नामी कोच तो दूसरा रूस का बड़ा प्रशिक्षक। इन दोनों

By Edited By: Published: Tue, 16 Sep 2014 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 16 Sep 2014 10:04 AM (IST)
भारतीय एथलीटों को पेशेवर बना रहे विदेशी कोच

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। एक का नाम डॉक्टर निकोलेई स्नोसारेवा और दूसरे का नाम एलेक्जेंडर अर्तसिबाशेव। एक यूक्रेन का नामी कोच तो दूसरा रूस का बड़ा प्रशिक्षक। इन दोनों ने भारतीय धावकों और पैदल चाल एथलीटों को एशियन गेम्स में पदक जीतने के काबिल ही नहीं, बल्कि पेशेवर भी बना दिया है।

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इस समय रूस पैदल चाल में विश्व के शीर्ष देशों में शामिल है। उसी देश के एलेक्जेंडर 2011 में भारत में प्रशिक्षण देने के लिए आए और अगले ही साल भारत के केटी इरफान ने लंदन ओलंपिक में 20 किलोमीटर पैदल चाल में टॉप-10 में जगह बनाई। एलेक्जेंडर के पहले भारत के नेशनल कैंप में सिर्फ दो पैदल चाल के एथलीट होते थे, लेकिन अब उनकी संख्या 15 हो गई है। एलेक्जेंडर और उनके पांच पैदल चाल एथलीट केटी इरफान, गणपति (20 किलोमीटर), ओलंपियन बसंत बहादुर राणा और राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी संदीप कुमार (50 किलोमीटर) व खुशबीर कौर (20 किलोमीटर) इंचियोन में जलवा दिखाने को तैयार हैं। ये सभी पिछले छह महीने से बेंगलूर में अभ्यास कर रहे हैं। एशियन रेस पैदल चाल चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता और राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारी खुशबीर ने पिछले तीन साल में अपना ही रिकॉर्ड तीन बार तोड़ा है।

2010 कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स के लिए लंबी दूरी के धावकों के कोच डॉ निकोलेई को 2005 में नियुक्त किया गया था। ग्वांग्झू में हुए पिछले एशियन गेम्स में भारत के लंबी दूरी के धावक पांच पदक लाए थे और इस बार भी सात धावक पदक जीतने के लिए इंचियोन पहुंच गए हैं। 2010 एशियन गेम्स के बाद निकोलेई चले गए थे और इस बार देरी से इस साल फरवरी में उनकी दोबारा कोच के तौर पर नियुक्ति हुई। निकोलेई ने छह महीने में ही प्रीजा श्रीधरन, ओपी जैशा, सुधा सिंह, ललिता बाबर, सुरेश कुमार, राहुल कुमार पाल और सुषमा देवी को पदक की होड़ में ला दिया।

सुधा सिंह ने कहा कि निकोलेई सर को जब कड़क होना होता है तो वो कड़क होते हैं और जब दोस्त होना होता है तो दोस्त। हम लोगों के बीच ऐसा रिश्ता हो गया है कि भाषाई दिक्कत का भी अहसास नहीं होता। लखनऊ में जब नेशनल चैंपियनशिप हुई तो वह आयोजकों से हमारे लिए लड़ गए। उन्होंने कहा कि अगर एक कमरे में चार एथलीटों को रहने को कहा गया तो मैं भी वैसे ही रहूंगा। इसके बाद आयोजकों को मजबूर होकर हमारे लिए बेहतर प्रबंध करने पड़े। यही नहीं जब हम ऊटी में अभ्यास कर रहे थे तो ट्रैक पर एक मैदान कर्मी ने बीड़ी जला ली। निकोलेई ने तुरंत ट्रेनिंग रोक दी। पहले बीड़ी बुझाई। उस पर पानी डाला। हम सबको पानी से गला साफ करने को कहा और उसके बाद प्रशिक्षण शुरू हुआ। इन विदेशी कोचों ने हमें पेशेवर बना दिया है।

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