तो इस वजह से सीबीआइ ने शुरू की बैडमिंटन संघ की जांच
2014 में सदभावना दौरे पर जापान गए बैडमिंटन खिलाड़ियों के मामले की जांच सीबीआइ ने शुरू कर दी है।
नई दिल्ली, जेएनएन। सीबीआइ ने 2014 में सदभावना दौरे पर जापान गए देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों के मामले की जांच शुरू कर दी है। इस दौरे पर गए खिलाड़ियों को ‘अयोग्य’ पाया गया है। आरोप है कि इस दौरे पर भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआइ) के अध्यक्ष और उसकी दिल्ली इकाई के अधिकारियों के बचे एवं रिश्तेदार टीम का हिस्सा थे। सीबीआइ ने इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट भी खेल मंत्रालय को सौंपी दी है।
#FLASH CBI submitted preliminary report to sports ministry pic.twitter.com/ykOvLZXBCV
— ANI (@ANI_news) 1 March 2017
सीबीआइ सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि एजेंसी को 2014 में टोक्यो में यूथ स्पोर्ट्स एक्सचेंज प्रोग्राम में खिलाड़ियों को भेजने के मामले में बीएआइ और दिल्ली कैपिटल बैडमिंटन एसोसिएशन (डीसीबीए) के अधिकरियों द्वारा कथित पक्षपात करने के इनपुट मिले थे। आरोपों की पड़ताल के लिए सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। आसियान (एसोएिशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन) देशों के युवाओं के लिए एक्सचेंज प्रोग्राम में शामिल होने के लिए भारत ने जापान सरकार के खर्च पर 23 खिलाड़ियों और दो अधिकारियों का दल भेजा था।
सीबीआइ सूत्र ने कहा कि चयन की योग्यता के लिए एक मानदंड था कि खिलाड़ियों ने अपने देश में स्थानीय या क्षेत्रीय टूर्नामेंट में प्रतिनिधित्व किया हो। बीएआइ के अध्यक्ष और दिल्ली इकाई के चुनिंदा अधिकारियों के बचे और नजदीकी रिश्तेदारों को बिना किसी ट्रायल और चयन प्रक्रिया के भेजा गया। सूत्र ने कहा कि प्रारंभिक जांच में पाया गया कि जापान गए ज़्यादातर खिलाड़ी अयोग्य थे, क्योंकि वे चयन के समय क्षेत्रीय या राय स्तर पर नहीं खेले थे।
23 खिलाड़ियों में बीएआइ के अध्यक्ष अखिलेश दास गुप्ता और डीसीबीए के अधिकारियों, जिनमें महासचिव जितेंद्र कोचर, उपाध्यक्ष हरीश आहूजा, सचिव अपिंदर सभरवाल और कोषाध्यक्ष कमल थापर और कुछ अन्य के सात रिश्तेदारों को भेजा गया था। डीसीबीए के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश के संबंध में सीबीआइ मंत्रलय को एक रिपोर्ट भेज चुकी है।
यह सामने आया था कि टीम ‘अनौपचारिक रूप से’ चुनी गई थी और संघ या उसकी दिल्ली इकाई ने कोई रिकॉर्ड तैयार नहीं किया। दिल्ली इकाई के अधिकारियों ने सीबीआइ के अधिकारियों से कहा था कि बीएआइ से परामर्श करने के बाद ही प्रत्येक कदम उठाया गया।