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इस मुक्केबाज के हौसले ने मंत्रालय को भी झुकाया, जीता अपना हक

अर्जुन पुरस्कार के लिए अनदेखी किए जाने के बाद कानून की शरण लेने वाले मुक्केबाज मनोज कुमार को सरकार ने आखिरकार पुरस्कार देने का फैसला

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Thu, 18 Sep 2014 11:48 AM (IST)Updated: Thu, 18 Sep 2014 12:04 PM (IST)
इस मुक्केबाज के हौसले ने मंत्रालय को भी झुकाया, जीता अपना हक

जागरण संवाददाता, गुडग़ांव। अर्जुन पुरस्कार के लिए अनदेखी किए जाने के बाद कानून की शरण लेने वाले मुक्केबाज मनोज कुमार को सरकार ने आखिरकार पुरस्कार देने का फैसला कर लिया है। खेल मंत्रालय ने उनका नामांकन स्वीकार कर लिया है। मनोज फिलहाल एशियन गेम्स में भाग लेने इंचियोन गए हुए हैं और वहां से लौटते ही उन्हें इस सम्मान से नवाजा जाएगा। कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के स्वर्ण पदक विजेता मनोज ने बताया कि मंत्रालय के फैसले के बारे में उन्हें सुबह सूचना मिली।

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ओलंपियन मुक्केबाज ने कहा, 'खेल मंत्रालय में संयुक्त सचिव ओंकार केडिया ने मेरे भाई राजेश को इस बारे में मंगलवार शाम को बताया, लेकिन मुझे सूचना आज (बुधवार) सुबह ही मिली।' अर्जुन पुरस्कार के लिए कपिल देव की अगुआई वाली चयन समिति द्वारा अनदेखी किए जाने और मुक्केबाज जय भगवान के विवादास्पद नामांकन के बाद मनोज ने खेल मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया था, जिन्होंने आश्वासन दिया था कि समीक्षा बैठक के बाद उनका नाम पुरस्कार पाने वाले खिलाडिय़ों की सूची में जोड़ा जाएगा। ऐसा नहीं होने पर मनोज ने कानून की शरण ली और दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया।

मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत में स्वीकार किया कि मनोज के नाम पर पुरस्कार के लिए इसलिए विचार नहीं किया गया क्योंकि समिति ने गलती से उन्हें डोपिंग मामले में लिप्त मान लिया था। ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाले मनोज ने सम्मान हासिल करने की इस लड़ाई में मिली जीत का सारा श्रेय अपने बड़े भाई को देते हुए कहा, 'मैं राजेश का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने व्यवस्था के खिलाफ अकेले मेरे लिए लड़ाई लड़ी। यह दुखद है कि मुझे अपने अधिकार के लिए इस तरह से लडऩा पड़ा।'

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