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एक बड़े क्वार्टर फाइनल मैच का मंच तैयार

दूसरे दौर में अफ्रीकी उम्मीदों की यूरोप की दिग्गज टीमों से मुकाबले के परिणाम को लेकर किसी को भी ज्यादा संशय नहीं था। जर्मनी और फ्रांस फेवरेट के तमगे पर खरे उतरे, लेकिन कड़े प्रतिरोध के बाद। अल्जीरिया और नाइजीरिया ने अपनी विपक्षी टीमों के लिए मुश्किलें खड़ी कीं। उनके प्रदर्शन में वह बात थी, जिस पर अ

By Edited By: Published: Wed, 02 Jul 2014 10:18 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jul 2014 12:38 PM (IST)
एक बड़े क्वार्टर फाइनल मैच का मंच तैयार

(रॉल गोंजालेज का कॉलम)

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दूसरे दौर में अफ्रीकी उम्मीदों की यूरोप की दिग्गज टीमों से मुकाबले के परिणाम को लेकर किसी को भी ज्यादा संशय नहीं था। जर्मनी और फ्रांस फेवरेट के तमगे पर खरे उतरे, लेकिन कड़े प्रतिरोध के बाद। अल्जीरिया और नाइजीरिया ने अपनी विपक्षी टीमों के लिए मुश्किलें खड़ी कीं। उनके प्रदर्शन में वह बात थी, जिस पर अफ्रीका गर्व कर सकता है। क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने का सपना भले अधूरा रह गया, लेकिन जैसा खेल इन दोनों टीमों ने दिखाया वह सचमुच लाजवाब था।

अब एक रोमांचक क्वार्टर फाइनल मुकाबले के लिए मंच तैयार हो चुका है। अभी तक जर्मनी और फ्रांस ने प्रभावशाली खेल दिखाया है। इन दोनों टीमों के बीच होने वाला मुकाबला 1986 के उस क्लासिक मुकाबले की याद दिलाता है जहां दोनों टीमें क्वार्टर फाइनल में आमने-सामने हुई थीं। तब फ्रांस ने पेनाल्टी में उस जोरदार मुकाबले को गंवा दिया था। एक बार फिर फ्रांस की टीम अच्छी नजर आ रही है और उम्मीद है कि वे मजबूत चुनौती पेश करेंगे।

एक बड़े मैच से पहले इस तरह के संघर्षपूर्ण मुकाबले आपको फायदा ही पहुंचाते हैं। दोनों टीमों ने कड़ी चुनौती से पार पाकर अंतिम आठ में जगह बनाई है, इससे दोनों का मनोबल ऊंचा होगा। दबाव में आने के बावजूद फ्रांस की टीम बैक में मजबूत नजर आई। दूसरे हाफ में उसके मिडफील्डरों ने नाइजीरिया से मैच छीन लिया। पोग्बा, मातुदी और काबे शक्ति, कौशल व गतिशीलता के मामले में खासे आकर्षक नजर आए। वालबुएना और बेंजेमा ने विपक्षी खिलाड़ियों द्वारा कसकर मार्क होने के बावजूद बेंहतरीन प्रदर्शन किया। एक बड़े मैच से पहले दिदिएर देचैंप्स की टीम हर विभाग में तैयार नजर आ रही है।

दूसरी तरफ जर्मनी की बैक लाइन में खड़े चार खिलाड़ी मैच की शुरुआत में थोड़े असहज दिखे, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा उनका आत्मविश्वास लौटा और लैम, श्वाइनश्टाइगर और क्रूस ने खुद पर बहुत अधिक भार ले लिया। ओजिल और मूलर भी सक्रिय दिखे। हालांकि गोल्डन बूट के दावेदार के खेल में फिनिशिंग की कमी नजर आई। स्थानापन्न खिलाड़ियों ने अपनी भूमिका बखूभी निभाई और खेल के दौरान संयोजन में भी बदलाव किया। ये बातें साबित करती हैं कि जोकिम लोए की टीम प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अनुकूल बनाने में सक्षम है। चार जुलाई को इन दो संतुलित टीमों के बीच हम एक धमाकेदार भिड़ंत की अपेक्षा कर सकते हैं।

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