हीरोइन जैसा महसूस कर रही हैं अमृता
बिहार के सीवान जिले के रहने वाले और हरियाणा के गुडग़ांव में सब्जी की रेहड़ी लगाने वाले शंभू प्रसाद की बेटी अमृता कुमारी को भारत
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार के सीवान जिले के रहने वाले और हरियाणा के गुडग़ांव में सब्जी की रेहड़ी लगाने वाले शंभू प्रसाद की बेटी अमृता कुमारी को भारत की अंडर-16 बालिका टीम का पिछले दिनों कप्तान बनाया गया। वह बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शुक्रवार को एएफसी अंडर-16 महिला चैंपियनशिप के क्वालीफाइंग राउंड में ईरान के खिलाफ पहली बार भारतीय कप्तान के तौर पर उतरेंगी।
ढाका में अमृता की कप्तानी में भारतीय टीम जॉर्डन, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और मेजबान बांग्लादेश से भिड़ेगा। अमृता ने कहा कि हम जीत के लिए जी-जान लगा देंगे।
दो माह पहले जब अमृता अहमदाबाद में भारतीय टीम के कैंप के लिए गईं थीं तब उनके घर में बिजली भी नहीं थी और अब लाइट-कैमरे की चकाचौंध को देखकर वह खुद को हीरोइन से कम नहीं समझ रही हैं। टूर्नामेंट के पहले हुई प्रेस कांफ्रेस के बाद अमृता ने फोन पर कहा कि यह सब मैंने अपने दोस्त के घर टीवी पर देखा था। यह सब मैंने फिल्म स्टार के साथ होते हुए देखा है। अब मैं खुद को स्पेशल महसूस कर रही हूं। उन्होंने कहा कि बिजली मेरे घर की सबसे बड़ी समस्या है। हम अधिकतर समय अंधेरे में बिताते हैं, लेकिन फुटबॉल मेरी आशा है और मेरा परिवार इसमें पूरा समर्थन करता है।
पहली बार 2012 में खेला था बड़ा टूर्नामेंट :
कोच संजय पाठक 2012 में पहली बार अमृता को अंडर-17 टूर्नामेंट में खेलने के लिए ले गए थे। बिहार से खेलने वाली अमृता की टीम तब नगालैंड के खिलाफ फाइनल में हार गई थी। अमृता ने कहा कि वह पहला मौका था, जब मैंने किसी बड़े टूर्नामेंट में भाग लिया। इसके बाद अहमदाबाद में भारतीय अंडर-16 के कैंप के लिए बुलावा आया। श्रीलंका में होने वाले एएफसी अंडर-14 गल्र्स रीजनल चैंपियनशिप के लिए चुना गया, लेकिन पासपोर्ट की समस्या से दो-चार होना पड़ा। संजय सर ने मेरे लिए बहुत खर्च किया। मैं अब भारत की कप्तान हूं और मुझे खुद पर गर्व है। मेरी मां आसपास के सभी लोगों को यह बताती हैं। मैं सीनियर स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं। मैं अपने परिवार के लिए सम्मान अर्जित करना चाहती हूं। कप्तान बनने के बाद जब पहली बार पिता से मिलूंगी तो उन्हें सारी बातें बताऊंगी।
मुश्किल दौर में गुजरा है जीवन :
अमृता भारतीय बालिका फुटबॉल टीम की कप्तानी करने वाली बिहार की पहली लड़की हैं। नौवीं कक्षा की छात्र अमृता का जीवन काफी कठिनाइयों में गुजरा है। छह भाई-बहनों में सबसे बड़ी अमृता के पिता रेहड़ी लगाते हैं।