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संपन्न हुए बीएफआइ के चुनाव, अजय सिंह बने अध्यक्ष

लंबे समय से टल रहे बॉ¨क्सग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआइ) के चुनाव रविवार को मुंबई में संपन्न हुए।

By ShivamEdited By: Published: Sun, 25 Sep 2016 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2016 09:09 PM (IST)
संपन्न हुए बीएफआइ के चुनाव, अजय सिंह बने अध्यक्ष

अनिल भारद्वाज, गुड़गांव। लंबे समय से टल रहे बॉ¨क्सग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआइ) के चुनाव रविवार को मुंबई में संपन्न हुए। चार वर्ष बाद हुए चुनाव में बीएफआइ के अध्यक्ष पद पर अजय ¨सह और महासचिव पद पर जय कावली चुने गए।

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चुनाव में अजय ने रोहित जैन को 34 वोट से हराया। उत्तराखंड के अजय को 49 वोट हासिल हुए, जबकि दिल्ली के रोहित को 15 वोट मिले। अजय ने कहा, 'हमारी प्राथमिकता अब बॉक्सिंग को वापस वहीं ले जाने की है जहां वो थी। हमें पिछले चार सालों की राजनीति को पीछे छोड़ बॉक्सिंग, बॉक्सर और कोचों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।'

वहीं, महासचिव पद के लिए जय कावली ने लेनी डी गामा को 36 वोट के अंतर से हराया। महाराष्ट्र के कावली को 48, जबकि गामा को 12 वोट हासिल हुए। बीएफआइ में उपाध्यक्ष पद पर राजेश भंडारी, अमरजीत व सीके जयरथ और संयुक्त सचिव पद पर राजेश देसाई चुने गए। इसके अलावा असम के हेमंत कुमार कोषाध्यक्ष बने। यह चुनाव आइबा के पर्यवेक्षक सहित खेल मंत्रालय की निगरानी में कराए गए। आइबा से ओशिनिया क्षेत्र से उपाध्यक्ष एडगर टान्नर प्रतिनिधि थे और मंत्रालय ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) की निदेशक सुष्मिता ज्योति को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।

चार वर्ष पहले इंडिया एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन काम करती थी। जिसे अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ (आइबा) ने 2012 में बर्खास्त कर दो वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया था। आइबा की शर्त को मानकर 2014 में बॉ¨क्सग इंडिया का गठन किया गया और आइबा ने अस्थाई मान्यता दे दी। लेकिन भारत में झगड़े को देखते हुए 16 जून, 2015 को आइबा ने बीआइ को बर्खास्त कर दिया और 16 जुलाई, 2015 को भारत में एडहाक कमेटी बना दी। भारत रियो ओलंपिक में शामिल हो सके इसके लिए आइबा ने ओलंपिक तक बीएफआइ को अस्थाई मान्यता दी थी। चार वर्ष की इस लड़ाई में भारतीय बॉ¨क्सग बिल्कुल धरातल पर चली गई। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं हुईं।

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आइओए ने बनाई दूरी

चुनाव में केंद्रीय खेल मंत्रालय और आइबा ने दिलचस्पी ली, लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) शामिल नहीं हुआ। आइओए के शामिल नहीं होने से यह डर बना हुआ है कि वो बीएफआइ के चुनाव को मान्यता नहीं देगा। लगता नहीं है कि आइओए और बीएफआइ के बीच लड़ाई का जल्द खात्मा होगा।

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