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शिलांग लाजोंग को हराकर आइजोल ने जीता आइ लीग खिताब, रच दिया इतिहास

शिलांग लाजोंग एफसी को 1-1 की बराबरी पर रोकते हुए आइजोल एफसी ने इस साल का आइ-लीग खिताब जीतकर इतिहास रच दिया।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Mon, 01 May 2017 11:18 AM (IST)Updated: Mon, 01 May 2017 11:20 AM (IST)
शिलांग लाजोंग को हराकर आइजोल ने जीता आइ लीग खिताब, रच दिया इतिहास
शिलांग लाजोंग को हराकर आइजोल ने जीता आइ लीग खिताब, रच दिया इतिहास

शिलांग, प्रेट्र। आइजोल एफसी ने रविवार को तनावपूर्ण मुकाबले में शिलांग लाजोंग एफसी को 1-1 की बराबरी पर रोकते हुए इस साल का आइ-लीग खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। वह आइ लीग खिताब जीतने वाला पूवरेत्तर का पहला क्लब बन गया है।

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आइजोल को आइ लीग अपने नाम करने के लिए जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में लाजोंग के खिलाफ ड्रॉ खेलना था। लेकिन लाजोंग ने पहला गोल करते हुए आइजोल की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। लाजोंग के लिए मैच का पहला गोल नौवें मिनट में सेंटर फारवर्ड एसेर पेरेक डिपांडा ने हेडर के जरिये किया। इसके बाद आइजोल ने अपने खेल का स्तर ऊंचा किया और हावी रहा। उसके लिए बराबरी का गोल 67वें मिनट में विलियन लालरूनफेला ने किया।

मोहन बागान ने कोलकाता में एक अन्य मैच में चेन्नई सिटी एफसी को 2-1 से हराया। चेन्नई सिटी ने 31वें मिनट में एस नंद कुमार के गोल की बदौलत बढ़त बनाई, लेकिन युसा कात्सुमी ने पहले हाफ के इंजरी टाइम में बागान को बराबरी दिला दी। डेरिल डफी ने दूसरे हाफ में 77वें मिनट में एक और गोल दागकर बागान को 2-1 से आगे किया, जो निर्णायक स्कोर साबित हुआ।

आइजोल ने टूर्नामेंट का अंत 37 अंक के साथ किया, जबकि मोहन बागान की टीम 36 अंक के साथ दूसरे स्थान पर रही। आइजोल ने अपने दूसरे ही सत्र में आइ लीग खिताब जीता है। उसकी यह उपलब्धि इसलिए भी काफी मायने रखती है, क्योंकि उसका कुल बजट सिर्फ दो करोड़ रुपये था, जबकि बागान ने इतनी राशि सिर्फ हैती के सोनी नोर्डे को टीम के साथ जोड़ने पर ही खर्च की थी। पिछले सत्र में आइजोल की टीम रेलीगेशन की कगार पर पहुंच गयी थी। आइजोल की इस उपलब्धि को 2015-16 में इंग्लिश प्रीमियर लीग जीतने वाली लीसेस्टर के बराबर कहा जा सकता है। क्योंकि उस टीम ने भी अपने पिछले सत्र में रेलीगेशन से बचने के बाद यह धमाल किया था।

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पूर्वोत्तर भारत से फुटबॉल के राष्ट्रीय परिदृश्य में कदम रखने वाली शिलांग लाजोंग पहली टीम थी। लेकिन इस बार आइजोल ने जो कर दिखाया है उससे कोलकाता और गोवा की तरह भविष्य में पूर्वोत्तर को भी फुटबॉल का गढ़ माना जाने लगेगा।

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