इस समुदाय में मात्र पचास हजार में होती है शादी, कोई अविवाहित नही रहता
महंगाई के इस दौर में जहां शादी पर लाखों रुपये खर्च होते हैं तो वहीं गुज्जर समुदाय महज पचास हजार रुपये में ही अपने बेटे-बेटियों की शादी रचा रहा है। जोकि अन्य लोगों के लिए एक सीख है। हाल ही में गुज्जर समुदाय पर हुई एक रिसर्च में इस बात
जम्मू। महंगाई के इस दौर में जहां शादी पर लाखों रुपये खर्च होते हैं तो वहीं गुज्जर समुदाय महज पचास हजार रुपये में ही अपने बेटे-बेटियों की शादी रचा रहा है। जोकि अन्य लोगों के लिए एक सीख है। हाल ही में गुज्जर समुदाय पर हुई एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है।
ट्राइबल रिसर्च एंड कल्चरल फाउंडेशन ने 100 गुज्जर बक्करबाल परिवारों पर सर्वे किया है। फाउंडेशन के सचिव जावेद राही ने बताया कि राज्य का गुज्जर समुदाय आज भी पचास हजार में शादी समारोह को संपन्न कर रहा है जिसमें से दस हजार रुपये कपड़ों, गहनों जो अधिकतर चांदी के होते हैं, पर खर्च करता है। शादी के खाने पर अधिकतर तीस हजार रुपये खर्च किए जाते हैं जिसमें दो सौ से तीन सौ लोग शामिल होते हैं। इसके अलावा पांच हजार रुपये दुल्हन के दहेज व पांच से दस हजार रुपये मेहर की रकम शामिल होती है। हालांकि समुदाय के कुछ लोग एक लाख रुपये भी शादी पर खर्च करते हैं। ऐसी शादी को गुज्जर समुदाय भव्य मानते हुए उसे बड़ो ब्याह (बड़ी शादी) का नाम देता है।
इसके अलावा समुदाय की शादियों में आज भी बरातियों को चावल, घी, शक्कर व मीट परोसा जाता है। राज्य में बीस प्रतिशत गुज्जर समुदाय की आबादी है जिसमें चालीस प्रतिशत गुज्जर समुदाय की आबादी आज भी खानाबदोश है। रिसर्च में यह सामने आया है आज भी गुज्जर समुदाय अपने बच्चों की चौदह से अठारह साल के बीच शादी कर रहा है। समुदाय के किसी भी सदस्य को आजीवन अविवाहित रहने की अनुमति नहीं है। समुदाय के सभी लोग अपनी परंपरों का पालन करते हैं।