लिया सबक, पुरानी योजनाओं को पूरा कराने पर जोर देगी रेलवे
बुनियाद मजबूत करने वाली अपनी परियोजनाओं की लेटलतीफी से शायद रेलवे ने इस बार सबक लिया है। रेलवे ने पहली बार मौजूदा परियोजनाओं में से 347 ऐसी परियोजनाएं चुनी हैं जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा। इन परियोजनाओं को तय समय में पूरा करने के लिए हर हाल में वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बुनियाद मजबूत करने वाली अपनी परियोजनाओं की लेटलतीफी से शायद रेलवे ने इस बार सबक लिया है। रेलवे ने पहली बार मौजूदा परियोजनाओं में से 347 ऐसी परियोजनाएं चुनी हैं जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा। इन परियोजनाओं को तय समय में पूरा करने के लिए हर हाल में वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
इन परियोजनाओं की घोषणाएं तो पहले हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक उन्हें अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। इसके बावजूद हर साल रेल बजट में नई परियोजनाओं का एलान होता रहा है। लेकिन, इस बार अपने बजट में रेल मंत्री पवन बंसल ने नई परियोजनाओं की संख्या को सीमित रखते हुए पुरानी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने पर जोर दिया है। चूंकि बीते साल भी रेलवे नई लाइनों के निर्माण और आमान परिवर्तन के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सका लिहाजा इस बार रेल बजट में लक्ष्य तय करते हुए वास्तविकता को ध्यान में रखा गया है।
रेल मंत्री ने व्हील फैक्ट्री से लेकर कोच निर्माण इकाई समेत सिग्नलिंग उपस्करों की सात परियोजनाओं का एलान इस बार बजट में किया है। जल्द पूरा करने के उद्देश्य से इन परियोजनाओं को सार्वजनिक उपक्रमों, राज्य सरकारों और सार्वजनिक निजी भागीदारी में लगाया जा रहा है। रायबरेली में लगने वाली नई फोर्ज्ड व्हील फैक्ट्री राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के सहयोग से लगाई जानी है। जबकि, राजस्थान के भीलवाड़ा में मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स [मेमू] निर्माण इकाई भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड [भेल] की मदद से लगाई जाएगी। दोनों इकाइयों के लिए रेलवे इन कंपनियों के साथ करार भी कर चुका है। इसके अलावा हरियाणा के सोनीपत में राज्य सरकार के सहयोग से कोच निर्माण इकाई की स्थापना होगी। चंडीगढ़ में सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से आधुनिक सिग्नलिंग उपस्कर कारखाना लगाया जाना है।
नई लाइनों के निर्माण और आमान परिवर्तन के मामले में भी पिछले बजटों की तुलना में इस बार ज्यादा व्यावहारिक नजरिया अपनाया गया है। बंसल ने अगले वित्त वर्ष में केवल 500 किलोमीटर नई लाइनों के निर्माण का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा आमान परिवर्तन के लिए भी केवल 450 किलोमीटर लाइनों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अलबत्ता दोहरीकरण के लिए 750 किलोमीटर लाइनों का लक्ष्य महत्वाकांक्षी लग रहा है।