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200 साल बाद धनवान बन जाएंगे भगवान!

चिर यौवन और अप्रतिम सौंदर्य हर इंसान की ख्वाहिश है। 200 साल बाद यह ख्वाहिश हकीकत होगी। मशीनी ताकत के बल पर इंसान ऐसी ‘दैवीय शक्तियां’ जुटा लेगा जिससे वह मनमुताबिक अपने शरीर की संरचना को संवारने-बिगाड़ने में सक्षम होगा। मौत पर काबू पा लेगा।

By anand rajEdited By: Published: Wed, 27 May 2015 09:53 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2015 10:20 AM (IST)
200 साल बाद धनवान बन जाएंगे भगवान!

लंदन। चिर यौवन और अप्रतिम सौंदर्य हर इंसान की ख्वाहिश है। 200 साल बाद यह ख्वाहिश हकीकत होगी। मशीनी ताकत के बल पर इंसान ऐसी ‘दैवीय शक्तियां’ जुटा लेगा जिससे वह मनमुताबिक अपने शरीर की संरचना को संवारने-बिगाड़ने में सक्षम होगा। मौत पर काबू पा लेगा। यह दावा किया है हिब्रू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक युवल नोह हरारी ने। हालांकि दुनिया की यह सबसे बड़ी वैज्ञानिक क्रांति सिर्फ अमीरों की पहुंच में होगी।

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हरारी ने बताया कि इंसान हमेशा अपनी जिंदगी को मनचाहे समय तक बढ़ाने के लिए प्रयास करता रहा है। अगले दो सौ सालों में ‘साइबोर्ग’ प्रोद्यौगिकी के कारण रईस खुद को दैवीय शक्ति सरीखा विकसित कर लेंगे। आनुवांशिक इंजीनयरिंग की मदद से मौत पर पूरी तरह काबू पा लेंगे। उन्होंने बताया कि दुनिया में मानव जीवन की उत्पत्ति के बाद से यह सबसे बड़ी वैज्ञानिक क्रांति होगी। तब हम आज के इंसानों से उसी तरह अलग होंगे जैसे आज हम चिम्पांजियों से हैं।

सिर्फ अमीर उठा सकेंगे इस तकनीक का लाभ

हरारी इसे दुनिया में गैर बराबरी बढ़ने के तौर पर भी देखते हैं। उनके अनुसार अनुसार इस तकनीक का लाभ सिर्फ अमीर लोग ही उठा सकेंगे। इससे धर्म पर भरोसा भी कम होगा। आज हम जिन चीजों के लिए भगवान पर निर्भर हैं वे हमारे हाथ में होंगी। हम मानने लगेंगे कि तकनीक से हर समस्या का हल संभव है। यही कारण है कि आज किसी धार्मिक स्थान के मुकाबले सिलिकॉन वैली ज्यादा महत्वपूर्ण जगह है।

क्या है साइबोर्ग?
साइबोर्ग ‘साइबरनेटिक ऑर्गेनम’ का संक्षिप्त रूप है। बोलचाल की भाषा में इसे मशीनी मानव भी कह सकते हैं, जो ऑर्गेनिक (सामान्य शारीरिक अंग) और बायोमेकेट्रॉनिक्स (मशीनी अंग) अंगों से मिलकर बना होता है। इस शब्द का सबसे पहली बार प्रयोग 1960 में मैनफ्रेड क्लाइन और नाथन एस क्लाइन ने किया था। इस तकनीक की मदद से विकलांग कृत्रिम अंगों को अपने दिमाग से नियंत्रित करने में सक्षम हो रहे हैं।

खतरे भी नहीं कम
चिप जैसे छोटे उपकरण जो त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किए जाते हैं वे इंसान को साइबोर्ग बनाने के साथ-साथ खतरा भी पैदा करते हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कभी भी खराब हो सकते हैं। ऐसे में उसे हटाने के लिए दोबारा सर्जरी करनी होगी। इससे संक्रमण भी हो सकता है। यदि शरीर में लगे उपकरण को ट्रैक किया गया तो निजता खतरे में पड़ जाएगी।

हॉलीवुड फिल्मों का हीरो

हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में हीरो को ‘साइबोर्ग’ के रूप में पेश किया जाता रहा है। कुछ प्रमुख फिल्में और उनके पात्र हैं- स्टार वार्स का डार्थ वेदर, डॉक्टर हू का साइबर मैन, टर्मिनेटर, स्पाइडरमैन का डॉ. ऑक्टोपस। टर्मिनेटर फिल्म ने तो धूम मचा दी थी।

कौन हैं युवल नोह हरारी?
24 फरवरी 1976 को पैदा हुए युवल नोह हरारी एक प्रसिद्ध इजरायली साहित्यकार हैं। उनकी किताब ‘सैपियंस : ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमेनकाइंड’ बेस्टर सेलर किताबों में शामिल है। 30 से ज्यादा भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है।

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