यहां उल्टी दिशा में घूमती हैं सब घडिय़ां
छत्तीसगढ के कोरबा, कोरिया सरगुजा, बिलासपुर और जशपुर जिलों में आदिवासी लंबे समय से उल्टी दिशा में चलने वाली घड़ी का इस्तेमाल कर रहे है।
By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 12:19 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 09:04 AM (IST)
छत्तीसगढ में पिछले कई वर्र्षों से आदिवासी बड़ी संख्या में उल्टी दिशा में घूमने वाली घडियों का प्रयोग करते आ रह है। पढऩे में आपको थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन छत्तीसगढ के कोरबा, कोरिया सरगुजा, बिलासपुर और जशपुर जिलों में आदिवासी लंबे समय से उल्टी दिशा में चलने वाली घड़ी का इस्तेमाल कर रहे है।
इन घडिय़ों को कांटे दाई से बाई ओर घूमते हैं। इसका कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं है लेकिन माना जाता है कि 1980 के दशक में पृथक गोंडवाना आंदोलन ने जब जोर पकड़ा, उसी दौरान ये घडिय़ां पहली बार आदिवासियों के बीच बांटी गई।
आदिवासियों को कहना है कि हमारी धरती सूर्य के चारों ओर दाई से बाई ओर परिक्रमा करती है। खेती के लिए चलाए जाने वाले हल बैल भी जुताई के लिए दाएं से बांए ही घूमते है। सारी लताएं, खेल-खलिहानों की लिपाई-पुताई, अनाजों को पीसने वाली हाथ चक्की, आदिवासी विवाह और मृत्यु के समय लिए जाने वाले फेरे, यह सब कुछ दाएं से बाएं ही होते है, ऐसे में दाई से बाई दिशा में घूमने वाली घड़ी गलत कैसे होगी।
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