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इस कंपनी में अधिकारी तो छोडि़ए मजदूर और चपरासी भी हैं करोड़पति

क्‍या आप ने कभी किसी ऐसी कंपनी के बारे में सुना है जहां मालिक ही नहीं कर्मचारी भी करोड़पति हों। सुनने में ये थोड़ा अजीब तो लगता है पर सच यही है।

By prabhapunj.mishraEdited By: Published: Wed, 12 Jul 2017 04:01 PM (IST)Updated: Wed, 12 Jul 2017 04:01 PM (IST)
इस कंपनी में अधिकारी तो छोडि़ए मजदूर और चपरासी भी हैं करोड़पति
इस कंपनी में अधिकारी तो छोडि़ए मजदूर और चपरासी भी हैं करोड़पति

गुजरात में है कंपनी

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गुजरात स्थित अहमदाबाद के साणंद में रविराज फोइल्स लिमिटेड है। यहां मजदूरी करने वाले कर्मचारियों के खाते में करोड़ रुपए हैं। रविराज फोइल्स लिमिटेड कंपनी ने अहमदाबाद में फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। कंपनी ने तय वादे के मुताबिक जिन लोगों की जमीन ली थी उन्हें अपनी फैक्ट्री में नौकरी भी दी। जमीन अधिग्रहण में मुआवजे के तौर पर गांव के लोगों को करोड़ों रुपए मिले हैं। साथ ही वे अपनी योग्यता के आधार पर इस फैक्ट्री में सुपरवाइजर, सिक्योरिटी गार्ड, फोन मैन, मजदूर आदि की नौकरी भी करते हैं। इस फैक्ट्री में 300 कर्मचारी काम करते हैं, जिसमें करीब 150 के बैंक खाते में करोड़ से ज्यादा रुपए हैं। 

सरकार ने किया था जमीन का अधिग्रहण

इस इलाके में गुजरात सरकार ने चार हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। जिसके लिए 2000 करोड़ रुपए का भगुतान किया गया है। रविराज फोइल्स के प्रबंध निदेशक जयदीपसिंह वाघेला का कहना है कि इस इलाके में लोगों के पास आमदनी का दूसरा श्रोत नहीं है। कंपनी ने अपने वादे के मुताबिक जिन लोगों की जमीन ली थी उनकी योग्यता के आधार पर नौकरी पर रखा है। रविराज फोइल्स में मशीन ऑपरेटर की नौकरी करने वाले धर्मेंद्र सिंह वाघेला की सैलरी 15 हजार रुपए प्रति महीना है। उनके बैंक खाते में करीब 2 करोड़ रुपए हैं। 

मजदूरों के खाते में जमा है करोड़ों रुपये

जगदीश राठौड़ को स्टोर असिस्टेंट की नौकरी के लिए 12 हजार रुपए हर महीने मिलते हैं। उनके खाते में करीब डेढ़ करोड़ रुपए हैं। इसी तरह स्टोरकीपर नरेंद्र सिंह बराड की सैलरी 11 हजार रुपए है। उन्हें जमीन बेचने पर करीब चार करोड़ रुपए मिले हैं। सारे करोड़पति कामगारों ने पैसों को बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट करवा रखा है। ब्याज से उनके परिवार का खर्च चलता है और नौकरी के पैसे अन्य जरूरतें पूरी होती हैं। यह कंपनी 2013 में शुरू हुई थी। तभी से सभी यहां काम कर रहे हैं।


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