ठंडक पहुंचाएगी अनोखी कमीज
गर्मी में कड़ी धूप में कौन बाहर निकलना चाहता है। हर कोई पंखे के नीचे या एसी में बैठना चाहता है लेकिन काम के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है लेकिन अब बेफिक्र होकर धूप में निकला जा सकता है।
कोलकाता। गर्मी में कड़ी धूप में कौन बाहर निकलना चाहता है। हर कोई पंखे के नीचे या एसी में बैठना चाहता है लेकिन काम के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है लेकिन अब बेफिक्र होकर धूप में निकला जा सकता है। एक ऐसी कमीज तैयार होने वाली है, जो गर्मी में ठंड का अहसास कराएगी। कोलकाता के वैज्ञानिक ने एक ऐसी सौर-ग्रीष्म कमीज की परिकल्पना पेश की है, जिसमें सौर बैटरी व पंखे लगे होंगे। इस कमीज को पहनने वाले को गर्मी में भी ठंडक का अहसास होगा।
फोटोवोल्टिक सिस्टम इंजीनियरिंग एवं डिजाइन के विशेषज्ञ शांतिपद गणचौधरी ने बताया-हम एक ऐसी तकनीक विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं जिसके जरिए कमीज के फाइबर या उसकी जेब में छोटी सौर बैटरी लगाई जा सकेगी। सौर बैटरी की मदद से करीब 400 वॉट ऊर्जा पैदा की जा सकती है। सौर बैटरी का आकार 2.5 से तीन इंच तक होगा। कमीज में इतनी ऊर्जा होगी, जिससे सेल फोन, टैबलेट व अन्य डिजीटल यंत्रों को भी चार्ज किया जा सकेगा। कमीज में दो परतें होंगी, एक परत में दो से चार छोटे पंखे लगे होंगे जो सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। इन पंखों का आकार कंप्यूटर में मौजूद पंखे से छोटा होगा। मान लीजिए, यदि कोई व्यक्ति 5.5 फुट लंबा है, तो उसके शरीर के प्रति वर्ग फुट पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें सौर बैटरी के माध्यम से 400 वॉट ऊर्जा पैदा करने के लिए काफी है। इस ऊर्जा से मोबाइल, टैबलेट, आईपॉड आदि चार्ज किए जा सकते हैं। बंगाल इंजीनियरिंग और साइंस यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले और एश्डन पुरस्कार से सम्मानित गणचौधरी ने अपना शोध पत्र केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को सौंपा है। उन्होंने कहा कि इस कमीज को हमेशा पहनना जरूरी नहीं है। निर्धारित समय तक सूर्य की किरणों के संपर्क में रहने पर इस कमीज के यंत्र चार्ज हो जाएंगे। कमीज की कीमत के बारे में पूछे जाने पर वैज्ञानिक ने कहा कि यदि सामान्य कमीज की कीमत 1000 रुपये होती है तो सौर बैटरी वाली कमीज का दाम करीब 1600 रुपये होगा। उन्होंने सौर कमीज से मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना से इंकार किया। उन्होंने कहा कि विश्वभर में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक से अधिक अनुसंधान किए जाने से इस ऊर्जा की लागत में कमी आएगी।
जागरण संवाददाता
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