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गंगनचुंबी इमारतें बनाएंगे रोबोट

हारवर्ड में भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने स्वेच्छा से काम करने वाले रोबोट की एक पूरी सेना तैयार कर ली है। ये रोबोट आपसी समायोजन से बिना किसी मानवीय निगरानी के गगनचुंबी इमारतों से लेकर पिरामिड तक बना सकते हैं।

By Edited By: Published: Sat, 15 Feb 2014 10:50 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2014 10:50 AM (IST)
गंगनचुंबी इमारतें बनाएंगे रोबोट

वाशिंगटन। हारवर्ड में भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने स्वेच्छा से काम करने वाले रोबोट की एक पूरी सेना तैयार कर ली है। ये रोबोट आपसी समायोजन से बिना किसी मानवीय निगरानी के गगनचुंबी इमारतों से लेकर पिरामिड तक बना सकते हैं।

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अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इन्हें ठोस ढांचों को खड़ा करने में सक्षम ये रोबोट सामूहिक बुद्धिमत्ता और समायोजन से कार्य करते हैं। इन्हें किसी निगरानी और दिशा-निर्देश देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस प्रणाली को किसी निगरानी और कैमरे से निगरानी की जरूरत नहीं पड़ती है। उनकी सहूलियत के लिए किसी खास किस्म के वातावरण बनाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। हारवर्ड यूनिवर्सिर्टी के वैानिकों ने ये टर्म्स प्रणाली बनाई है। इसके जरिए रोबोट जटिल और तीन आयामों वाले ढांचों को बिना किसी केंद्रीय कमान या निर्देशित नियमों के बाखूबी बना सकते हैं। टर्म्स प्रणाली की मदद से ऊंची इमारतें, महल, पिरामिड फोम ब्रिक से बनाए जा सकते हैं। इस प्रणाली के जरिए इमारत की सामग्री के जरिए खुद ब खुद ऐसी सीढि़यां बनाई जाती हैं। जिससे गुजरकर ये रोबोट ऊंचे स्थानों तक पहुंचते हैं और उस पर जरूरत के हिसाब से ईंटें जमाते जाते हैं। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में ऐसे रोबोट बाढ़ आने पर पानी रोकने के लिए बालू की बोरियां लगाने से लेकर मंगल ग्रह पर निर्माण कार्य में भी बखूबी भाग ले सकते हैं।

इस प्रणाली की सबसे अच्छी बात ये है कि जटिल से जटिल कार्य को सामूहिक रूप से ये रोबोट बिना किसी देखरेख के अंजाम दे सकते हैं। ऐसे में जहां इंसान की हदें खत्म होती हैं वहां भी इन रोबोट से बेहतरीन काम लिया जा सकता है। इन रोबोट को काम कराने के लिए माहौल या वातावरण को बदलने की भी जरूरत नहीं है। जैसे बाढ़ में बचाने वालों के भी जीवन का ख्याल रखना होता है। मंगल ग्रह पर इंसान को भेजने के लिए वहां के वातावरण के अनुकूल ही माहौल बनाना होगा। पर इन रोबोट के लिए ये सीमाएं नहीं हैं। इस प्रोजेक्ट की मुख्य जांचकर्ता हारवर्ड में इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर राधिका नागपाल और फ्रेड कावली हैं। प्रत्येक रोबोट बिल्डिंग बनाने की इस प्रक्त्रिया में दूसरे रोबोट के समानान्तर काम करता है। लेकिन उसे ये नहीं पता होता कि उसी वक्त यही काम और कौन कर रहा है। ऐसे में अगर कोई एक रोबोट टूट गया या काम से हट गया तो इससे दूसरे रोबोट पर असर नहीं पड़ता और वह अपना काम करता रहता है। यानी इस प्रणाली के जरिए एक निर्देश पांच रोबोट या पांच हजार रोबोट को एक साथ दिया जा सकता है। टर्म्स प्रणाली मापने, वितरण प्रणाली और आर्टीफियल इंटेलिजेंस का बेजोड़ नमूना है। नागपाल के इस स्वनियंत्रित प्रणाली अनुसंधान को एलगारिथम के हिसाब से तैयार किया गया है। जिसमें रोबोट का एक समूह एक कालोनी की तरह काम करता है। सभी रोबोट एक समूह में एक इकाई की तरह उच्च स्तरीय काम करते हैं।


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