चमत्कार से कम नहीं हैं ये पांडा ट्रिपलेट
दुनिया को पहली बार देखकर एक साथ जन्में ये तीनों शिशु भले ही चमत्कृत हुए हों या नहीं, पर उनकी पहली बार आंखे खोलने को दुनिया एक चमत्कार मान रही है। हम बात कर रहें हैं एक महीने पहले चीन के ग्वांगझाऊ चिड़ियाघर में एक साथ जन्में पांडा के तीन बच्चों की, जिन्होंने पहली बार अपनी आंखें खोली हैं। 29 जुलाई को जन्मा यह पांडा शिशु टि
दुनिया को पहली बार देखकर एक साथ जन्में ये तीनों शिशु भले ही चमत्कृत हुए हों या नहीं, पर उनकी पहली बार आंखे खोलने को दुनिया एक चमत्कार मान रही है। हम बात कर रहें हैं एक महीने पहले चीन के ग्वांगझाऊ चिड़ियाघर में एक साथ जन्में पांडा के तीन बच्चों की, जिन्होंने पहली बार अपनी आंखें खोली हैं। 29 जुलाई को जन्मा यह पांडा शिशु ट्रिपलेट दुनिया के इकलौते ऐसे पांडा हैं जो जीवित हैं।
1999 में पहली दफा चीन के एक चिड़ियाघर में एक मादा पांडा ने कृत्रिम गर्भधान के मदद से एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया था पर इनमें से सबसे छोटे बच्चे की 3 दिन के बाद ही मृत्यु हो गई थी। जुलाई में जन्में इन तीन बच्चों का जीवित रहना चमत्कार इसलिए माना जा रहा है क्योंकि पांडा अपने अति निम्न प्रजनन दर के लिए मशहूर हैं।
मादा पांडा साल में केवल एक बार गर्भधारण करती है। 5 महीने की गर्भावधि के बाद मादा पांडा एक या दो बच्चों को जन्म देती है। हालांकि जुड़वा बच्चों के जन्म की स्थिति में वह दोनों बच्चों का ख्याल नहीं रख पाती और अमूमन एक बच्चा जन्म के कुछ दिन बाद ही मर जाता है।
चिड़ियाघर द्वारा जारी एक वीडियो में बंद आंखें और बिना बालों के जन्में ये तीनों पांडा अब सुंदर बालों से ढके और आंखें मिचमिचाते दिखाई दे रहें हैं। चिड़ियाघर प्रशासन ने बयान जारी कर कहा है कि तीनों शिशु पांडाओं का स्वास्थ्य अच्छा है और तीनों का व्यक्तित्व विकास अलग-अलग हो रहा है। उदाहरण के लिए सबसे छोटा शिशु सबसे ज्यादा चंचल है।
तीनों पांडाओं को फिलहाल लकड़ी के डिब्बों में रखा गया है और उनका वजन 5.9 पाउंड से 6.3 पाउंड के बीच है। पांडा के लिंग का निर्धारण तीन महीने से पहले नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि अपने प्राकृतिक आवास में पांडा के केवल मध्य चीन के पर्वतों पर पाए जाते हैं। अपने प्राकृतिक आवास में दुनियाभर में केवल 1000 जबकि चिडियाघरों में मात्र 500 पांडा मौजूद हैं।