...जब तीन घंटे तक एक भालू से संघर्ष कर यूं जिंदा बचा यह किसान
एक इंसान ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि अचानक से उनके सामने आए भालू से जिंदगी बचाने के लिए उसे इतना लंबा संघर्ष करना होगा।
बेंगलुरु (जेएनएन)। ज्यूब वैलैंटी ने सोचा भी नहीं होगा कि अचानक से उनके सामने आए भालू से जिंदगी बचाने के लिए उन्हें इतना लंबा संघर्ष करना होगा। भालू के हमले से उनके चेहरे और शरीर पर बने घाव बताते हैं कि उस दिन दोनों के बीच जिंदगी और मौत की जबरदस्त लड़ाई हुई होगी।
58 वर्षीय ज्यूब के घावों को देखकर डॉक्टर भी हैरत में पड़ गए थे। उनके सिर में गहरे घाव थे। उन्होंने वन्यजीव अधिकारियों और पुलिस को बताया कि भालू ने बिना किसी चेतावनी के उन पर अचानक से हमला कर दिया।
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वह किसी भी कीमत पर ज्यूब को जाने नहीं देना चाहता था। वह बीच-बीच में लड़ाई छोड़ देता और फिर से हमला करता। जिंदगी और मौत की यह जंग तीन घंटों से अधिक समय तक चलती रही।
तीन घंटों के बाद जब उसे लगा कि उसने ज्यूब को जान से मार दिया है, तब वह वहां से गया। हमले के बाद वह कर्नाटक राज्य के हलियाल में जंगलों में कहीं चला गया। इसके बाद ज्यूब किसी तरह घिसटते हुए करीब पांच किमी दूर अपने गांव पहुंचे। उनके शरीर से काफी खून बह रहा था।
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फिलहाल वह खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। उन्हें समय पर उपचार मिल गया और डॉक्टरों ने उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद दूसरे हॉस्पिटल के आईसीयू में भेज दिया था। गौरतलब है कि मैसूर में एक भालू को गोली मार दी गई थी। अकेले उसने ही 12 लोगों की जान ली थी और 24 अन्य लोगों को बुरी तरह घायल किया था।