मिट्टी की चादर ओढ़ ये क्या कर रहे हैं लोग
जापान का तीसरा सबसे बड़ा आइलैंड, यहां की सबट्रॉपिकल जलवायु और ज्वालामुखी से निकलने वाला पानी स्पा के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य से लेकर तकनीकी क्षेत्र तक, जापानी लोग अपने योगदान के लिए विश्वविख्यात हैं। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए जापानियों ने स्पा का एक नायाब तरीका खोज निकाला है। सैंड बाथिंग जापानियों का एक नवीनतम अविष्कार, जो क्यूशू में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का कारण बना हुआ है। क्यूशू, जापान का तीसरा सबसे बड़ा आइलैंड, यहां की सबट्रॉपिकल जलवायु और ज्वालामुखी से निकलने वाला पानी स्पा के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही यहां की हॉट स्प्रिंग- बाथ भी काफी पॉपुलर हो रही है जिसको ओन्सेन कहते हैं। स्पा वाले स्थान पर काफी बड़े-बड़े सैंड से भरे बॉक्स होते हैं, जिनको प्राकर्तिक झरनों के हॉट वाटर से पूरी तरह गीला किया जाता है और जब स्टीम निकलने लगती है, अतिरिक्त गरम पानी को निकाल दिया जाता है। सैंड स्पा के इच्छुक लोगों को इस ज्वालामुखी की मिट्टी वाले बॉक्स में लिटाया जाता है, फिर ऊपर से गर्दन तक मिट्टी डालकर 30 मिनट के लिए दबा दिया जाता है। सैंड बाथ लेने वाले लोग मिट्टी के ठंडा होने तक इसके अंदर दबे रहते हैं। जिन लोगों ने यह प्रक्रिया अपनायी उनको शान्ति और आराम की अनुभूति हुई जो उनकी स्किन केलिए भी काफी फायदेमंद साबित हुई। शरीर पर चिपकी मिट्टी को हटाने के लिए बाथरूम का भी इंतजाम होता है। टिकट के साथ नाम की पोशाक भी साथ में उपलब्ध करायी जाती है, जिसको पहनकर ज्यादा हीट से बचने में मदद मिलती है।
सैंड स्पा स्किन के साथ-साथ डायबिटीज, एनीमिया, अस्थमा और बांझपन जैसे रोगों के लिए भी अच्छी है। इसकी मदद से वजन भी कम किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि, सैंड बाथ का यह कांसेप्ट जानवरों की मिट्टी में बैठने की क्रिया से प्रेरित है।