19वीं सदी का आखिरी इंसान
कहते हैं दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। जब से आधुनिक विज्ञान की माया आई है तब से तो और भी दुनिया में असंभव जैसी कोई चीज मानी ही नहीं जाती। हम चांद तक पर चले गए। लेकिन कुछ कमी ऐसी होती है जो कभी पूरी नहीं की जा सकती।
कहते हैं दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं। जब से आधुनिक विज्ञान की माया आई है तब से तो और भी दुनिया में असंभव जैसी कोई चीज मानी ही नहीं जाती। हम चांद तक पर चले गए। लेकिन कुछ कमी ऐसी होती है जो कभी पूरी नहीं की जा सकती।
आपको थोड़ी हैरत हो सकती है लेकिन यह सच है। 19वीं सदी का वो आखिरी इंसान अब तक उनके बीच था। 21वीं सदी में जीते हुए 19वीं सदी में पैदा हुए लोगों के बारे में बात करना थोड़ा अटपटा है लेकिन उनके लिए भी अपनी सदी से इतने आगे के लोगों के साथ रहना शायद उतना ही अटपटा होगा या शायद नहीं। अभी हाल ही में उन्होंने उन्हें खो दिया और इसके साथ ही उनके बीच से उन्नीसवीं सदी का वह आखिरी इंसान भी खत्म हो गया।
हम बात कर रहे हैं ग्रेस जोंस की। 7 दिसंबर, 1899 को पैदा हुईं 113 साल की ग्रेस जोंस की पिछले दिनों मृत्यु हो गई। ब्रिटेन की सबसे बूढ़ी औरत ग्रेस जोंस यहां 19वीं सदी में पैदा हुई आखिरी इंसान थीं। हालांकि विश्व में यह सबसे बूढ़े लोगों में चौथे नंबर पर थीं। इनसे बूढ़े और भी लोग हैं लेकिन जोंस की कमी अमेरिका के लिए रहेगी कि 1800 शताब्दी में पैदा हुए अपने आखिरी इंसान को उसने खो दिया।
लंदन में बरमॉंडसे की ग्रेस जोंस अविवाहित थीं। हालांकि उनकी मंगनी हुई थी लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध में मंगेतर के मारे जाने के बाद ग्रेस जोंस ने कभी शादी नहीं की। 113 वर्ष की अपनी उम्र उन्होंने अकेले गुजारी। आज लंदन 19वीं सदी के अपने इस आखिरी इंसान को खोकर दुखी है क्योंकि विज्ञान भी उस सदी का इंसान नहीं बना सकता।
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