जहां बाइक से मांगी जाती है मन्नत!
हमारे देश में देवताओं, इंसानों, पशु, पक्षियों व पेड़-पौधों की पूजा अर्चना तो आम बात है लेकिन राजस्थान के एक गांव में एक ऐसा स्थान है जहां पिछले कई वर्षो से बुलेट मोटरसाइकिल की भी पूजा होती है, और बाकायदा लोग उस मोटरसाइकिल से मन्नत भी मांगते हैं।
हमारे देश में देवताओं, इंसानों, पशु, पक्षियों व पेड़-पौधों की पूजा अर्चना तो आम बात है लेकिन राजस्थान के एक गांव में एक ऐसा स्थान है जहां पिछले कई वर्षो से बुलेट मोटरसाइकिल की भी पूजा होती है, और बाकायदा लोग उस मोटरसाइकिल से मन्नत भी मांगते हैं।
जोधपुर अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोधपुर से पाली जाते वक्त सड़क के किनारे जंगल में लगभग 30 से 40 प्रसाद व पूजा अर्चना के सामान से सजी दुकाने दिखाई देती है और साथ ही नजर आता है भीड़ से घिरा एक चबूतरा। इस चबूतरे के पास ही नजर आती है एक फूल मालाओं से लदी बुलेट मोटर साइकिल।
यह ओम बना का स्थान है ओम बना (ओम सिंह राठौड़) पाली शहर के पास ही स्थित चोटिला गांव के ठाकुर जोग सिंह जी राठौड़ के पुत्र थे जिनका इसी स्थान पर अपनी इसी बुलेट मोटर साइकिल पर जाते हुए 1988 में एक दुर्घटना में निधन हो गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान पर हर रोज कोई न कोई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाया करता था जिस पेड़ के पास ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना घटी उसी जगह पता नहीं कैसे कई वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते यह रहस्य ही बना रहता था। कई लोग यहां दुर्घटना के शिकार बन अपनी जान गंवा चुके थे। ओम सिंह राठौड़ की दुर्घटना में मृत्यु के बाद पुलिस ने अपनी कार्यवाही के तहत उनकी इस मोटर साइकिल को थाने लाकर बंद कर दिया लेकिन दुसरे दिन सुबह ही थाने से मोटर साईकिल गायब देखकर पुलिस कर्मी हैरान थे आखिर तलाश करने पर मोटर साइकिल वही दुर्घटना स्थल पर ही पाई गई, पुलिस कर्मी दोबारा मोटर साइकिल थाने लाये लेकिन हर बार सुबह मोटर साइकिल थाने से रात के समय गायब हो दुर्घटना स्थल पर ही अपने आप पहुंच जाती। आखिर पुलिस कर्मियों व ओम सिंह के पिता ने ओम सिंह की मृत आत्मा की यही इच्छा समझ उस मोटर साइकिल को उसी पेड़ के पास छाया बना कर रख दिया। इस चमत्कार के बाद रात्रि में वाहन चालकों को ओम सिंह अक्सर वाहनों को दुर्घटना से बचाने के उपाय करते व चालकों को रात्रि में दुर्घटना से सावधान करते दिखाई देने लगे। वे उस दुर्घटना संभावित जगह तक पहुंचने वाले वाहन को जबरदस्ती रोक देते या धीरे कर देते ताकि उनकी तरह कोई और वाहन चालक असामयिक मौत का शिकार न बने और उसके बाद आज तक वहां दोबारा कोई दूसरी दुर्घटना नहीं हुई।
ओम सिंह राठौड़ के मरने के बाद भी उनकी आत्मा द्वारा इस तरह का नेक काम करते देखे जाने पर वाहन चालकों व स्थानीय लोगों में उनके प्रति श्रद्धा बढ़ती गयी और इसी श्रद्धा का नतीजा है कि ओम बना के इस स्थान पर हर वक्त उनकी पूजा अर्चना करने वालों की भीड़ लगी रहती है उस राजमार्ग से गुजरने वाला हर वाहन यहां रुक कर ओम बना को नमन कर ही आगे बढ़ता है और दूर-दूर से लोग उनके स्थान पर आकर उनमे अपनी श्रद्धा प्रकट कर उनसे व उनकी मोटर साइकिल से मन्नत मांगते है।
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