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भारत में हर साल पैदा होता है 18.5 लाख टन ई-कचरा

पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की तो सभी ने उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया...लेकिन कचरे की हकीकत जानकर आपको हैरानी होगी कि भारत में हर साल कितने टन कचरा निकलता है

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Wed, 03 Aug 2016 02:15 PM (IST)Updated: Wed, 03 Aug 2016 02:23 PM (IST)
भारत में हर साल पैदा होता है 18.5 लाख टन ई-कचरा

भारत में हर साल 18.5 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है और सालाना आधार पर ई-कचरे में 25 फीसदी की दर से इजाफा हो रहा है। इस लिहाज से वर्ष 2018 तक ई-कचरे का आंकड़ा 30 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि देश में निकलने वाले ई-कचरे में सबसे बड़ा हिस्सा मुंबई और दिल्ली-एनसीआर का है।

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एसोचैम और फ्रॉस्ट एंड सुलिवन के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि 1.20 लाख टन के साथ ई-कचरा पैदा करने में मुंबई सबसे आगे है। 98,000 टन के साथ दिल्ली-एनसीआर दूसरे स्थान पर है। वहीं चेन्नई में हर साल 67,000 टन, कोलकाता में 55,000 टन, अहमदाबाद में 36,000 टन, हैदराबाद में 32,000 टन और पुणे में 26,000 टन ई-कचरा निकलता है।

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अध्ययन में कहा गया है कि खराब ढांचे, कमजोर कानून और बिना रूपरेखा की वजह से भारत में कुल ई-कचरे में से मात्र ढाई फीसदी की रिसाइक्लिंग हो पाती है। इसमें कहा गया है कि ई-कचरे की वजह से प्राकृतिक संसाधन नष्ट होते हैं, पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है और साथ ही यह उद्योग में काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालता है।

अध्ययन में कहा गया है कि करीब 95 फीसदी ई-कचरे का प्रबंधन असंगठित क्षेत्र और स्क्रैप डीलरों द्वारा किया जाता है। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि भारत में करीब 5 लाख बाल श्रमिक विभिन्न ई-कचरा गतिविधियों में लगे हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि देश में ई-कचरे का प्रबंधन अवैज्ञानिक तरीके से स्क्रैप डीलरों द्वारा किया जाता है। वे बिना उचित तरीका अपनाए रेडियोएक्टिव सामग्री का प्रबंधन करते हैं।

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