योगी सरकार के तीन साल का रोडमैप तैयार, जानिए क्या है कार्ययोजना
स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पेयजल व स्वच्छता, सिंचाई और जल संसाधन, उद्योग और कृषि क्षेत्र के लिए विकास के उपायों को लागू करने की समयसीमा तय की गयी।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विकास का रोडमैप तैयार होने के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार इसे धरातल पर उतारने की कार्ययोजना बनाने में जुट गई हैं। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए नीति आयोग ने शुक्रवार को यूपी सरकार के साथ मिलकर शिक्षा व स्वास्थ्य सहित आठ क्षेत्रों के विकास के रोडमैप को अमली जामा पहनाने के लिए कार्यवाही के बिन्दु चिन्हित किए। साथ ही यह भी तय किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के किस विभाग को ये कार्यवाही बिन्दु कितने समय में लागू करने हैं।
सूत्रों के अनुसार नीति आयोग में हुई इस उच्च स्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और प्रदेश के उच्चाधिकारी जबकि नीति आयोग की ओर से मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद और सलाहकार आलोक कुमार मौजूद रहे। यह बैठक 10 मई को लखनऊ में नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानागढि़या के नेतृत्व में केंद्रीय अधिकारियों के दल के सीएम के समक्ष प्रजेंटेशन देने के बाद फोलोअप बैठक के रूप में हुई है।
सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार की बैठक में शिक्षा व स्वास्थ्य सहित कुल आठ क्षेत्रों के रोडपैम के कार्यबिन्दुओं को लागू करने के लिए संबंधित विभागों के लिए छह माह से लेकर तीन साल तक की समयसीमा तय की गयी। इसमें सबसे अधिक प्राथमिकता पोषण को दी गयी है। राज्य में कुपोषण को दूर करने के लिए संबंधित विभागों को एक माह से लेकर दो साल के भीतर कदम उठाने को कहा गया है।
इसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पेयजल व स्वच्छता, सिंचाई और जल संसाधन, उद्योग और कृषि क्षेत्र के लिए विकास के उपायों को लागू करने की समयसीमा तय की गयी। कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दिए जाने वाले टेक होम राशन की जगह सशर्त नकदी हस्तांतरण के लिए एक पायलट योजना चार माह के भीतर शुरु करने का प्रावधान भी इस रोडमैप में किया गया है।
हालांकि राज्य सरकार को इस पायलट योजना का थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कराना होगा। इसी तरह बच्चों को टीकाकरण कार्यक्रम की नियमित निगरानी तथा प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत के मामलों में कमी लाने के लिए छह माह के भीतर गर्भवती महिलाओं के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन सेवा शुरु करने का उपाय भी इस कार्ययोजना में शामिल है। इसी तरह स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में भी छह माह के भीतर कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
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