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Cabinet decision: यूपी में न धर्म के नाम पर कब्जा न महापुरुषों के नाम पर छुट्टी

योगी कैबिनेट ने महत्वपूर्ण फैसले लेकर एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठन किया। महापुरूषों के नाम वाली 15 छुट्टियां रद कीं, 15 मई से सत्र बुलाया और धर्म के नाम पर कब्जों पर रोक लगा दी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 06:52 PM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 07:52 PM (IST)
Cabinet decision: यूपी में न धर्म के नाम पर कब्जा न महापुरुषों के नाम पर छुट्टी
Cabinet decision: यूपी में न धर्म के नाम पर कब्जा न महापुरुषों के नाम पर छुट्टी

लखनऊ (जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी कैबिनेट ने आज पांच महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। संकल्प पत्र के वादे के अनुरूप भू-माफिया पर नकेल कसने के लिए एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित करने और सार्वजनिक स्थलों पर धर्म के नाम पर कब्जा रोकने की पहल के साथ ही महापुरुषों के नाम पर 15 छुट्टियां रद कर दी गई हैं। सरकार ने तय किया है कि जीएसटी बिल को पास कराने के लिए 15 मई से एक विशेष सत्र का आयोजन होगा।

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कैबिनेट की चौथी बैठक में दो घंटे

लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में करीब दो घंटे चली कैबिनेट की चौथी बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पत्रकारों से जानकारी साझा की। शर्मा ने बताया कि सरकार के पास काम करने के दिन कम बचते हैं क्योंकि अवकाश बढ़ गए हैं। कैबिनेट ने फैसला किया है कि महापुरुषों के जन्मदिन और बलिदान दिवस के 15 अवकाश निरस्त होंगे। उस दिन महापुरुषों के बारे में स्कूल और कालेजों में एक घंटे के लिए परिचर्चा और निबंध प्रतियोगिता होगी। सरकार ने तय किया है कि स्वाधीनता संग्राम में जितने भी क्रांतिकारी रहे हैं उनके बलिदान दिवस पर सभी शिक्षण संस्थाओं में विशेष आयोजन होंगे। उन्हें स्मरण करते हुए उनके बारे में विद्यार्थियों को विशेष जानकारी दी जाएगी। सरकारी दफ्तरों में भी उस दिन अवकाश नहीं रहेगा। संस्थान अपने विवेक से इनके नाम पर कार्यालय में कार्यक्रम आयोजित कर सकेंगे। 

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15 मई से विधानमंडल सत्र 

योगी सरकार में विधानमंडल सत्र की  शुरुआत 15 मई से होगी। सत्र एक सप्ताह तक चलेगा। यह सत्र विशेष रूप से जीएसटी बिल पास कराने के लिए बुलाया जा रहा है। सरकार की मंशा है कि एक देश-एक कानून का फार्मूला सब जगह रहे। अभी हाल में संसद से जीएसटी पारित हो गया है। जीएसटी के लिए सत्र बुलाने पर कैबिनेट ने संस्तुति दी है। इसके पहले मंगलवार को ही मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मिलकर सत्र चलाने के संदर्भ में विमर्श किया था। 

धर्म की आड़ में नहीं कब्जा 

सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन दी थी कि धर्म के नाम पर सार्वजनिक स्थलों का अतिक्रमण हटाया जाए लेकिन, यह दिशा निर्देश प्रभावी नहीं हो सका। कैबिनेट ने फैसला किया है कि सार्वजनिक स्थलों पर यदि कोई कब्जा करता है तो उस पर कार्रवाई होगी। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि चाहे वह किसी धर्म का हो लेकिन, अगर गैर कानूनी ढंग से धर्म स्थल का निर्माण करेगा तो उसे हटाया जाएगा और कार्रवाई होगी। 

सुकमा के दो शहीदों को 30-30 लाख 

कैबिनेट ने सुकमा हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवारीजन के प्रति संवेदना प्रकट की है। कैबिनेट की बैठक में तय हुआ कि सुकमा में मारे गए जवानों में उप्र के दो जवानों के आश्रितों को 30-30 लाख  रुपये दिए जाएंगे। इसमें एटा के जवान केपी सिंह और मुजफ्फरनगर के मनोज कुमार के परिवारीजन को सांत्वना देने के लिए राज्य सरकार के मंत्री जाएंगे। एटा के लिए प्रोफेसर एसपी बघेल और अतुल गर्ग तथा मुजफ्फरनगर जाने के लिए सतीश महाना और सुरेश राणा को अधिकृत किया गया है। 

भ्रष्टाचार जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प 

 उल्लेखनीय है कि भाजपा ने चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश से गुंडाराज और भ्रष्टाचार के कलंक को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया था। अब सरकार बनने पर भाजपा सरकार ने सपा सरकार में गोमती रिवर फ्रंट, आगरा एक्सप्रेस-वे, जेपी सेंटर निर्माण तथा मायाकाल में चीनी मिल बिकने की जांच के आदेश दिए हैं। गोमती रिवर फ्रंट की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर 45 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। समाजवादी पेंशन की गड़बड़ियों की भी जांच के आदेश हैं।

बसपा सरकार के घोटाले

यहीं नहीं बसपा शासनकाल में स्मारक को सपा ने सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। तब सपा के लोग कहते थे कि सत्ता में आने के बाद स्मारक घोटाले के दोषियों को जेल भेजा जाएगा। सपा सरकार ने स्मारक घोटाला और लैकफेड घोटाले की जांच शुरू कराई। लैकफेड घोटाले में तो बसपा सरकार के चार मंत्री चंद्रदेव राम यादव, रंगनाथ मिश्र, बादशाह सिंह और बाबू सिंह कुशवाहा पर शिकंजा जरूर कसा लेकिन, अदालत में किसी पर आरोप साबित नहीं हो सका। स्मारक घोटाले की फाइल दब गई। जनवरी 2014 में सतर्कता अधिष्ठान ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 अफसरों और अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर करीब 15 अरब रुपये के स्मारक घोटाले की जांच शुरू की थी। यह जांच अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। हालांकि भाजपा की सरकार बनने के बाद सतर्कता अधिष्ठान ने फाइलों की जमी धूल झाड़ ली है और गुनहगारों के खिलाफ साक्ष्यों और गवाहों को सहेजा जाने लगा है। 

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शिकायत को टोल फ्री नंबर

सरकार ने तय किया कि भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय की निगरानी में विशेष हेल्पलाइन बनेगी। गृह विभाग के प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन में टोल फ्री नंबर स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मायावती सरकार में बिकी चीनी मिलों की जांच के आदेश के साथ ही सरकार 2007 से 2012 के बीच भूमि, जेएनयूआरएम, यूपीएसआइडीसी, पेंशन, सड़क निर्माण, शीरा, खनन विभाग में हुई अनियमितताओं के पुराने दस्तावेज खंगाल रही है। 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने इन विभागों में घोटाले का आरोप लगाकर एक रिपोर्ट जारी की थी। तब भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री किरीट सोमैया भ्रष्टाचार उजागर समिति के संयोजक के रूप में बसपा सरकार के कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोल रहे थे। उन्होंने मायावती के 100 महाघोटालों की एक रिपोर्ट भी जारी की थी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि 15 वर्षो में भ्रष्टाचार के एक-एक बिंदु की जांच होगी और कोई भी दोषी बचेगा नहीं। 

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