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विधायकों के साथ राष्‍ट्रपति से मिलने पहुंचे केजरीवाल

आप में बढ़ते आरोप-प्रत्‍यारोप और कलह के बीच दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार की शाम राष्‍ट्रपति से मिलने राष्‍ट्रपति भवन पहुंचे। केजरीवाल के साथ उनकी पार्टी के विधायक भी हैं। दरअसल, आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले पार्टी में तूफान मचा है।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 12:36 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2015 07:44 PM (IST)
विधायकों के साथ राष्‍ट्रपति से मिलने पहुंचे केजरीवाल

नई दिल्ली। आप में बढ़ते आरोप-प्रत्यारोप और कलह के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार की शाम राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे। केजरीवाल के साथ उनकी पार्टी के विधायक भी हैं। दरअसल, आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक से पहले पार्टी में तूफान मचा है। पार्टी में बगावती रुख अपना चुके योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पर आरोप लगाते हुए आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि दाेनों अरविंद को सुधारने की बातें कर रहे हैं। कभी ये पार्टी को आरटीआई में लाने की बात कर रहे हैं तो कभी आंतरिक लोकतंत्र की बहाली की। संजय ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी से पार्टी को ठेस पहुंचता है और यही पार्टी में संकट के लिए जिम्मेदार है। संजय ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि इन दोनों को अरविंद केजरीवाल में भरोसा नहीं है।

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प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान संजय सिंह ने दो कागज दिखाए जो योगेंद्र यादव के हाथ से लिखे बताए गए। इन कागजों में से एक में कुछ नेताओं के नाम लिखे हैं और दूसरे में देश और कार्यकर्ताओं के नाम एक माफीनामा। संजय सिंह ने कहा कि इन नेताओं के नाम योगेंद्र यादव ने खुद अपने हाथ से लिखे और कहा कि इन लोगों को नेशनल काउंसल में शामिल किया जाए जबकि बाहर आकर वह कहते हैं कि गुप्त प्रक्रिया द्वारा चुनाव होना चाहिए।

दूसरे कागज को संजय सिंह ने जनता और कार्यकर्ताओं के नाम लिखा माफीनामा बताया। उन्होंने कहा कि यादव ने अपने हाथ से यह माफीनामा लिखा। इसमें लिखा था कि आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व पिछले एक महीने की घटनाओं पर देश की जनता और कार्यकर्ताओं से माफी मांगता है। इस माफीनामे पर दोनों पक्ष के लोगों को दस्तखत करने थे।

इससे पहले, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के बाद पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता आनंद कुमार ने भी विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया है। शनिवार को पार्टी के नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने प्रेस कांफ्रेंस करके पार्टी पर हमला बोला। संवाददाताओं को संबोधित करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि यह आंदोलन से पैदा हुई पार्टी है। लेकिन कार्यकर्ताओं का विश्वास टूटा है। हम पार्टी में स्वराज चाहते थे। हम चाहते थे पार्टी में पारदर्शिता लागू हो। हम चाहते थे कार्यकर्ता भी अपनी बातें खुल कर रख सकें। हमने संयोजक का मुद्दा कभी नहीं उठाया। यादव ने कहा, आम आदमी पार्टी कोई आम पार्टी नहीं है।पिछले एक महीने से कार्यकर्ताओं और समर्थकों की उम्मीदें टूटी हैं।

यादव ने कहा, 'आम आदमी पार्टी में मर्यादा उल्लंघन की जांच आंतरिक लोकपाल से कराई जानी चाहिए। कार्यकर्ता पार्टी के प्राण हैं, उनकी बात सुनी जाए। कांग्रेस और भाजपा की तरह कार्यकर्ताओं के साथ बर्ताव न किया जाए। हम जो पारदर्शिता का सिद्धांत सारी दुनिया पर लागू करते हैं, उसे अपने ऊपर भी लागू करें। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जितने खाली पद हैं, उन्हें सीक्रेट बैलेट के जरिए भर दिया जाए।'

योगेंद्र यादव के मुताबिक, हमने अपने नोट में कहा था कि पांचों मुद्दों मे पार्टी न्यूनतम बातें स्वीकार कर लेती हैं तो हम सभी पद नहीं छोड़ेंगे। हमें इस बात का संतोष है कि हमारे बहाने चर्चा शुरू हुई और हम उम्मीद करते हैं शनिवार की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा होगी। ये आंदोलन के मूल सवाल हैं इसलिए इन पर चर्चा जारी रहनी चाहिए। उन्होंने आम आदमी पार्टी की वेबसाइट से पार्टी का संविधान हटाए जाने पर भी सवाल उठाया।

यादव ने सवाल उठाया कि क्या आप सपा और बसपा की तरह एक क्षेत्रीय पार्टी बनकर रह जाएगी? उन्होंने कहा कि हर सवाल को पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से जोड़ना उनका अपमान है।

पार्टी के एक अन्य नेता प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारी कोई मांग नहीं मानी गई। उन्होंने कहा कि मांगें मान ली जाए तो हम तुरंत इस्तीफा दे देंगे। कल झूठ बताया गया कि हमने इस्तीफा दे दिया है। हम चाहते हैं कि कल होने वाली बैठक में कायदा कानून से हर काम हो। उन्होंने कहा कि अपनी मनमानी चाहते थे केजरीवाल।

बताया गया है कि पार्टी के थिंक टैंक माने जाने वाले प्रो आनंद कुमार भी बागी हो गए हैं। दिल्ली के उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके आनंद कुमार आज दोपहर प्रेस क्लब में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। आनंद कुमार का पार्टी के विरोध में खड़ा होना आप के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है क्योंकि यादव और भूषण के बाद आनंद कुमार उनकी भूमिका निभा सकते थे।

पढ़ेंः बिना मांगे इस्तीफा नहीं देने पर अड़े योगेंद्र व प्रशांत भूषण


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