येद्दयुरप्पा साफ, कांग्रेस वाड्रा को संभाले
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनने से पूर्व राज्य में कैबिनेट मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण दायित्व निभा चुके जगत प्रकाश [जेपी] नड्डा मानते हैं कि भाजपा का प्रचार व्यक्ति केंद्रित है यानी मोदी पर केंद्रित है तो यह भाजपा की परंपरा है। कभी अटल थे, अब मोदी हैं। बीएस येद्दयुरप्पा को वह अब आरोपमुक्त न
बिलासपुर/हमीरपुर [राजेश्वर ठाकुर]। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनने से पूर्व राज्य में कैबिनेट मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण दायित्व निभा चुके जगत प्रकाश [जेपी] नड्डा मानते हैं कि भाजपा का प्रचार व्यक्ति केंद्रित है यानी मोदी पर केंद्रित है तो यह भाजपा की परंपरा है। कभी अटल थे, अब मोदी हैं। बीएस येद्दयुरप्पा को वह अब आरोपमुक्त नेता मानते हैं, लिहाजा उनकी भाजपा में वापसी पर कांग्रेस को शोर मचाने का कोई हक नहीं है। उलटे वह कांग्रेस को सलाह देते हैं कि रॉबर्ट वाड्रा के मुद्दों को सुलझाए। चुनावी प्रचार के समय में उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश ..
राजनाथ सिंह को बार-बार क्यों कहना पड़ रहा है कि राजग के पीएम मोदी ही होंगे? पार्टी में कोई अंतद्र्वद्व है क्या?
बिल्कुल नहीं। यह मीडिया का ही उत्पन्न किया है। बार-बार इस तरह के भ्रम पैदा किए जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित करने का फैसला भाजपा का स्थायी फैसला है। यह सब पार्टी के भीतर आम सहमति से ही हुआ है।
भाजपा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दोहरे मापदंडों में फंसी नहीं लगती? कहीं कर्नाटक में येद्दुरप्पा को गले लगाने और अब कांग्रेस के जबावी हमले में अदानी के सवाल पर?
कांग्रेस इस वक्त बैकफुट पर है जहां पहुंचकर वह सुलगते सवालों के जवाब देने की बजाये कुतर्क देती है। अदानी की बात कहकर राहुल गांधी अपने जीजा राबर्ट वाड्रा पर घिरी कांग्रेस को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लोकायुक्त द्वारा प्रश्नांकित किए जाने पर येद्दयुरप्पा हटाए गए थे, अब वह आरोपमुक्त हुए तो उनकी वापसी हुई है। येद्दयुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई आरोप शेष नहीं है।
भाजपा के घोषणा पत्र में रामजन्म भूमि के बिंदु पर फिर विवाद सामने आया है। क्या इस मुद्दे पर भीतर से अभी पार्टी में दो राय है?
नहीं बिल्कुल नहीं। पार्टी घोषणापत्र में रामजन्मभूमि में राम मंदिर निर्माण का लक्ष्य नरेंद्र मोदी व अन्य नेताओं की सहमति से ही दर्ज हुआ है।
मोदी के नाम का ऐलान करके क्या भाजपा व्यक्तिवाद के प्रभाव में नहीं आ गई है?
भाजपा का इतिहास है, कभी अटल जी के नाम पर चुनाव लड़ा गया। उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके चुनाव लड़ा गया। इस बार नरेंद्र मोदी हैं। पार्टी के किसी भी नेता ने मोदी और भाजपा की लहर में फर्क नहीं बताया। यह सब भ्रामक प्रचार है।
भाजपा कांग्रेस पर वंशवाद की सियासत का आरोप लगाती है। लेकिन भाजपा में भी तो उदाहरण हैं..?
भाजपा कॉडर बेस्ड पार्टी है जहां हर व्यक्ति कार्यकर्ता के स्तर से अपनी मेहनत से ही अपना मुकाम बनाता है। अगर किसी की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक हो और वह कर्मठ और मुकाम बना पाने में सक्षम हो तो फिर ऐसे लोगों की योग्यता पर क्यों प्रतिबंध हो। परिवार विशेष का होने की वजह से किसी की काबलियत को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा में अब इस दौर में आप अपना क्या भविष्य मानते हैं? क्या मुख्यमंत्री बनना चाहेंगे?
पिछले दौर में पार्टी ने सांसद बनाया। संगठन का दायित्व दिया। निभा रहा हूं। मेरी अपनी कोई इच्छा नहीं और न ही कोई महत्वाकांक्षा। इतना जरूर है कि किसी के चाहने या फिर लोगों के चाहने या न चाहने से कुछ नहीं होता। पार्टी कुछ लोगों को सरकार चलाने का मौका देती है कुछेक को संगठन। आगे जो भी आदेश होगा, पूरा करूंगा।
हमीरपुर संसदीय सीट पर चुनाव लड़ रहे अनुराग ठाकुर के खिलाफ भी सरकार जांच करवा रही है। चुनाव की दृष्टि से क्या भाजपा प्रत्याशी की साख पर असर होगा?
वीरभद्र बतौर मुख्यमंत्री अपनी एक छवि बना चुके हैं कि जब वह भी सीएम बनेंगे तो जनहित पर काम करने के बजाए सिर्फ और सिर्फ इंक्वायरी ही करवाएंगे। अनुराग ठाकुर के खिलाफ भी यह प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के अलावा और कुछ नहीं।