डा. कोटनिस के परिजनों से मिले चिनफिंग
भारत आने पर चीनी नेताओं की परंपरा को निभाते हुए राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शुक्रवार को डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस के परिजनों से मुलाकात की। मुंबई में चीन के महावाणिज्य दूत विशेष तौर पर डॉ. कोटनिस की बहन 93 वर्षीय मनोरमा को लेकर दिल्ली आए, ताकि चिनफिंग उनका सम्मान कर सकें। इस अवसर पर डॉ. कोटनिस
नई दिल्ली। भारत आने पर चीनी नेताओं की परंपरा को निभाते हुए राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शुक्रवार को डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस के परिजनों से मुलाकात की। मुंबई में चीन के महावाणिज्य दूत विशेष तौर पर डॉ. कोटनिस की बहन 93 वर्षीय मनोरमा को लेकर दिल्ली आए, ताकि चिनफिंग उनका सम्मान कर सकें।
इस अवसर पर डॉ. कोटनिस को याद करते हुए चिनफिंग ने कहा, 'जापानी आक्रमण के नाजुक समय में भारतीय चिकित्सा मिशन ने हमारी मदद की और चीनी जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फासिस्ट शक्तियों का मुकाबला किया।'
इस अवसर पर मनोरमा ने कहा कि आज भी जब मुंबई में किसी चीनी महावाणिज्य दूत की नियुक्ति होती है, तो वे उनके परिजनों से मिलने आते हैं। डॉ. कोटनिस के बड़े भाई के दामाद राजन बोरकर ने बताया कि डॉ. कोटनिस के वृहत्तर परिवार के सदस्य अबतक 20 बार चीन की यात्रा कर चुके हैं।
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हर बार मिलते हैं चीनी नेता
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भारत आने पर चीन के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री कोटनिस के परिजनों से मिलना कभी नहीं भूलते। 1950 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चाउ एन लाइ, 1996 में राष्ट्रपति जियांग जेमिन, 2006 में राष्ट्रपति हू जिंताओ और पिछले साल प्रधानमंत्री ली केकियांग ने भी उनके परिजनों से भेंट की थी।
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कौन थे डॉ. कोटनिस
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डॉ. कोटनिस जापानी आक्रमण के बाद भारतीय चिकित्सा मिशन में शामिल होकर सन 1937 में चीन गए थे। युद्धभूमि में उन्होंने कई घायल चीनी सैनिकों का इलाज किया और उनकी जान बचाई। 1942 में वे बीमार पड़ गए और महज 32 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई। उन्होंने अपने साथ काम करने वाली एक चीनी नर्स से शादी की थी। इससे उन्हें एक लड़का हुआ। कोटनिस के निधन के बाद उनकी पत्नी अपने बेटे के साथ चीन में ही रह गई।