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अटका है वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का काम

सुप्रीम कोर्ट की ताकीद के बावजूद दिल्ली के साथ ही अनेक राज्य सरकारें वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने में हुई गड़बड़ियों को ठीक करने में हीलाहवाली कर रही हैं।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sun, 07 Dec 2014 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 07 Dec 2014 09:59 AM (IST)
अटका है वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का काम

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट की ताकीद के बावजूद दिल्ली के साथ ही अनेक राज्य सरकारें वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने में हुई गड़बड़ियों को ठीक करने में हीलाहवाली कर रही हैं।

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आपराधिक घटनाओं में वाहनों के दुरुपयोग पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने 2001 में वाहनों में सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने का निर्णय लिया था। इसके लिए मोटर वाहन नियमावली, 1989 में संशोधन किया गया। लेकिन राज्यों के रवैये से यह काम आज तक पूरा नहीं हुआ है।

आखिरकार मनिंदरजीत सिंह बिट्टा ने जनहित याचिका के जरिए मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2005 तथा 2011 में पूरे देश में समयबद्ध ढंग से सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने और इस संबंध में कुछ नियमों का पालन करने के निर्देश जारी किए। इस पर कई राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर नंबर प्लेट लगाने के ठेके जारी किए।

दिल्ली सरकार ने भी मार्च, 2012 में मेसर्स उत्सव सेफ्टी सिस्टम्स की पार्टनर रोसमेर्टा एचएसआरपी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड को ठेका दिया। लेकिन दिल्ली सरकार पर भी टेंडर की शर्तो से खिलवाड़ के अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप लगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2013 को दिल्ली समेत सात राज्यों के परिवहन सचिवों एवं परिवहन आयुक्तों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी कर दिए। जवाब में दिल्ली सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दिया और कहा कि उसने गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए समिति का गठन किया है।

समिति ने 31 जनवरी, 2014 को रिपोर्ट दी। इसमें कहा गया कि कंपनी ऐसे अनुमोदित स्रोतों से सिक्योरिटी नंबर प्लेट खरीद रही है जिनकी गुणवत्ता कमतर होने की संभावना है। सक्षम अथॉरिटी से मंजूरी नहीं ली गई है, वाहन चालकों से प्लेट लगाने के ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं।

1 मई, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आठ दिसंबर, 2011 के आदेश के मनाही के बावजूद कंपनी ने 57,25,221 ब्लैंक नंबर प्लेटों का उत्पादन करवाया। इस बीच 10 मार्च, 2013 को दिल्ली सरकार ने रोसमेर्टा को दो माह में गड़बड़ियां सुधारने का मौका देते हुए दूसरी समिति का गठन किया था। इस समिति ने भी खामियों की पुष्टि की

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