Move to Jagran APP

नारी पर ही है परिवार नियोजन की जिम्मेदारी

भले ही 'खुशखबरी' हो, लेकिन आज भी बड़ी तादाद में मां-बाप को नन्हें मेहमान के आने की खबर चौंका देती है। भारत में आज भी 21 फीसदी मामलों में बिना तैयारी के ही गर्भावस्था की स्थिति आ जाती है। यह भी सच है कि 72 फीसद मामलों में परिवार नियोजन की जिम्मेदारी का बोझ केवल महिला को ही उठाना होता है। सरकारी नीतियां भी कुछ ऐसी हैं

By Edited By: Published: Wed, 11 Jul 2012 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2012 10:42 AM (IST)
नारी पर ही है परिवार नियोजन की जिम्मेदारी

नई दिल्ली। भले ही 'खुशखबरी' हो, लेकिन आज भी बड़ी तादाद में मां-बाप को नन्हें मेहमान के आने की खबर चौंका देती है। भारत में आज भी 21 फीसदी मामलों में बिना तैयारी के ही गर्भावस्था की स्थिति आ जाती है। यह भी सच है कि 72 फीसद मामलों में परिवार नियोजन की जिम्मेदारी का बोझ केवल महिला को ही उठाना होता है। सरकारी नीतियां भी कुछ ऐसी हैं तमाम सुरक्षित उपायों की उपलब्धता के बावजूद सारा जोर महिला नसबंदी पर ही होता है।

loksabha election banner

परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से स्थापित 'जनसंख्या स्थिरता कोष' [जेएसके] के मुताबिक देश में इस समय लगभग हर पांचवां गर्भ अनचाहा होता है। क्योंकि गर्भ धारण के 21 फीसद मामलों में दंपति इसके लिए तैयार नहीं होते। इस तरह हर साल 65 लाख मामलों में दंपति सही सलाह के बाद गर्भपात के लिए तैयार हो जाते हैं। यह आंकड़े सिर्फ उन लोगों के हैं, जो मान लेते हैं कि उन्हें अभी बच्चे की जरूरत नहीं और गर्भपात के लिए तैयार हो जाते हैं। जबकि बहुत बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है, जिनमें मां-बाप जन्म देने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे मामलों के बारे में कोई आंकड़ा या अनुमान उपलब्ध नहीं हैं।

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के सूत्रधार समझे जाने वाले पूर्व परिवार कल्याण सचिव एआर नंदा के मुताबिक अब ऐसी स्थिति नहीं कि लोगों को गर्भ निरोधक उपायों के बारे में जानकारी नहीं हो। इसके बावजूद इन्हें अपनाने को लेकर झिझक और इनकी अनुपलब्धता ऐसे मामलों की सबसे बड़ी वजह है। नंदा के मुताबिक बिना तैयारी के गर्भ के अधिकांश मामले दूसरे या उसके बाद के गर्भधारण के होते हैं। क्योंकि भारत में अधिकांश दंपति पहले बच्चे में जल्दी तैयार हो जाते हैं। पोपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की संयुक्त निदेशक सोना शर्मा मानती हैं कि आपातकालीन गर्भनिरोधक के बारे में उचित जानकारी का अभाव भी इसकी एक बड़ी वजह है।

इसी तरह भारत में महिलाओं को बच्चे पैदा करने के मामले में फैसला लेने का हक भले ही नहीं हो लेकिन परिवार नियोजन का जिम्मा आज भी उन्हीं के कंधों पर है। परिवार नियोजन के लिए आज भी 72 फीसद मामलों में महिला नसबंदी का विकल्प अपनाया जा रहा है। जबकि पुरुष नसबंदी के मामले लगभग दो फीसद तक सीमित हैं। इसी तरह सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले आइयूडी के मामले सिर्फ चार फीसद हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.